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Showing posts from May, 2021

अब होम्योपैथिक चिकित्सक भी देख सकेंगे कोरोना मरीज़

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  प्रयागराज: कोविड-19 के मरीजों की अस्पतालों में भीड़ रोकने के लिए आयुष मंत्रालय ने होम्योपैथिक चिकित्सकों को भी ऐसे मरीजों को देखने की अनुमति दे दी है। मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक इन चिकित्सकों को लक्षणविहीन और शुरुआती लक्षण वाले मरीजों को देखना है। आगे की स्टेज वाले मरीजों को उच्चस्तरीय अस्पतालों में रेफर कर देना होगा। मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जो मरीज होम आईसोलेशन में रहकर इलाज कर रहे हैं, उन्हें होम्योपैथिक चिकित्सक देख सकते हैं। उन्हें मरीजों को कोरोना का पूरा प्रोटोकाल फालो कराना होगा जैसे दो गज़ की दूरी लागू कराना, मास्क पहनवाना, हाथ लगातार धुलवाने की सलाह देना। गाइडलाइन में कहा गया है कि लक्षणविहीन कोरोना पाजिटिव मरीजों को होम्योपैथिक डाक्टरों को आरसेनिकम एलबम 30 सी की चार गोली दिन में दो बार सात दिन तक देना होगा। इसी प्रकार हल्के लक्षण वाले मरीजों को एकोनिटम नेपोलस, आरसेनिकम एलबम, बेलाडोना, बरयोनिया एलबा, इयूपाटोरियम परफोलियटम, फेरम फास्फोरिकम, गलसेमियम, फास्फोरस, रस टाक्सिकोडेंड्रम दवाएं चलेंगी। दवा की खुराक डाक्टर मरीज की हालत को देखकर तय करेगा। इसके

कोरोना प्रभावित बच्चों की सूचना 1098 या 181 पर देकर बने जिम्मेदार नागरिक

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  प्रयागराज : कोविड महामारी ने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है। कुछ बच्चों ने एक अथवा दोनों माता पिता को इस महामारी में खोया है। ऐसे बच्चों को किसी भी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए उचित देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। यूनिसेफ द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में एक मीडिया बैठक का आयोजन मंगलवार को किया गया। बैठक में कोविड प्रभावित बच्चों के लिए किए जा रहे प्रयासों के विषय में चर्चा की गई। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने मीडिया से बच्चों की सहायता व कोरोना से प्रभावित परिवारों के बच्चों के लिए जारी हेल्पलाइन नम्बर - 1098 व 181 - का प्रचार प्रसार करने का अनुरोध किया। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश की चीफ औफ़ फील्ड ऑफिस सुश्री रूथ लियनो ने कहा, “कोविड महामारी ने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इन बच्चों को देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि ऐसे बच्चों की जानकारी मिलते ही चाइल्डलाइन 1098 अथवा महिला हेल्पलाइन 181 को सूचित करें”। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, सुश्री वी हेकाली झिमोमी ने कहा, “सरकार ऐसे बच्चों

कौशांबी ने जारी किये कोविड हेल्पलाइन नंबर

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  कौशांबी : कोरोना से बचाव के लिये कौशांबी स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कोविड प्रोटोकाल का पालन करने का आहवान किया है। साथ ही एकीकृत कोविड कमाण्ड सेंटर कौशांबी ने कोविड हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया है जिससे किसी भी मरीज को कोई दिक्कत न हो। मुख्य चिकित्सा अधिकारी पी.एन चतुर्वेदी ने कहा कि घर के आसपास साफ सफाई सेनेटाइजेशन न होने, एंबुलेंस, शव वाहन व अस्पताल में भर्ती के लिये व आक्सीजन के लिये मांग व शिकायत कर सकते है। इसके साथ ही होम आइसोलेट अथवा अन्य मरीजों के लिये टेली मेडिसिन के लिये भी संपर्क कर सकते है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रो में ग्राम पंचायत तथा शहरी क्षेत्रो में नगर अधिशाषी के द्वारा सफाई व सेनेटाइजेशन किया जायेगा। कोविड हेल्प लाइन नंबर --- 05331-232403 05331-232404 05331-232405 05331-232407 05331-232408 05331-232406 9454418030, 8115326665 अपने घर के आस-पास सफाई सफाई व सेनेटाइज कराने के हेतु 05331-232404 7393057388 एंबुलेंस, शव वाहन तथा अंतिम संस्कार हेतु मांग एवं शिकायत 05331-232404 7080039571 अस्पताल में भर्ती हेतु बेड एवं आक्सीजन सिलेंडर हेतु 05331-232404 9454417886

कॉल्विन हॉस्पिटल में चला विश्व स्किज़ोफ्रेनिया दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम

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  प्रयागराज, 24 मई 2021 : मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय (कॉल्विन) में सोमवार को विश्व स्किज़ोफ्रेनिया डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन और संचालन किया गया। यह कार्यक्रम प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. सुषमा श्रीवास्तव के नेतृत्व में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने संचालित किया। विश्व स्किज़ोफ्रेनिया डे हर साल मई 24 को बड़े पैमाने पर लोगों के बीच जागरूकता लाने और इससे संबंधी इलाज को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, प्रयागराज की टीम ने विश्व स्किज़ोफ्रेनिया डे कॉल्विन अस्पताल के पोस्ट कोविड केयर सेंटर और ओपीडी में मनाया। जिला मानसिक स्वास्थ्य टीम से नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्या राज, मनोसामाजिक सलाहकार डॉ. जयशंकर पटेल एवं मनोचिकित्सीय नर्सिंग ऑफिसर शैलेश कुमार ने लोगों को इस पर जानकारी दी और उपचार के बारे में बताया। हर वर्ष विश्व स्किज़ोफ्रेनिया दिवस पर अलग-अलग थीम होता है, इस वर्ष इसका थीम है उत्तम मानसिक स्वास्थ्य की खोज करना। इसके अंतर्गत हम खुद के और परिवार के मानसिक स्वास्थ्य की उत्तम देखरेख के लिए सही उपचार,मिथ्या और गलत धारणाओं को बढ़

कोरोना से ठीक होने के बाद की थकान को दूर करने के लिए सही खानपान बेहद जरूरी

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  प्रयागराज : कोरोना को मात देने के बाद भी बनी रहने वाली शारीरिक थकान और कमजोरी को दूर करने का सबसे सरल और सटीक उपाय है कि अपने खानपान में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो ऊर्जा बढ़ाने वाले हों । इसके लिए किसी चिकित्सक या दवा की जरूरत नहीं है बल्कि इसकी दवा तो आपके किचेन में ही मौजूद है, बस जरूरत है उसे जानने और दूसरों को समझाने की । राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन- उत्तर प्रदेश के आयुष इकाई के महाप्रबंधक डॉ. रामजी वर्मा का कहना है कि केला, सेब, संतरा और नींबू जैसे ऊर्जा बढ़ाने वाले फलों के सेवन से कोरोना के बाद महसूस होने वाली थकान व कमजोरी को दूर किया जा सकता है । इसके अलावा सलाद और भोजन में उपयुक्त कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को शामिल करना भी उपयोगी साबित हो सकता है । आर्गेनिक शहद और नींबू के साथ गर्म पानी का सेवन भी किया जा सकता है, जो कि शारीरिक थकान को दूर कर शरीर को राहत पहुंचाएगा । डॉ. वर्मा का कहना है कि कोरोना के चलते होने वाली सूखी खांसी की समस्या से भी निजात पाने की सलाह बहुत से लोगों द्वारा मांगी जा रही है, तो उन लोगों को यही बताना चाहूंगा कि सूखी खांसी व गले में खराश को दूर करने

कोरोना में अपना और अपनों का यूँ रखे खयाल कि न पैदा हो तनाव

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  प्रयागराज: कोरोना शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी लोगों को परेशान कर रहा है। लोगों में कोविड-19 से स्वयं और अपने परिवार को बचा कर रखने का दबाव, साथ ही हर दिन बदलती जानकारी और नकारात्मक ख़बरों के कारण भी भय है। ऐसे में घर पर रहकर मानसिक तनाव से बचें के उपाय करना बहुत आवश्यक है। मोतीलाल मण्डलीय चिकित्सालय की नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्य राज और मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान ने वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए कई लाभदायक सुझाव बतायें हैं। डॉ. ईशान्य राज कहती हैं कि कोविड-19 के संक्रमण को कम करने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया है। इस कारण लोग अपने घरो में रहने को मजबूर हैं, रोज़गार के साथ ही भविष्य की चिंता भी लोगो में बढ़ रही है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखना और भी ज्यादा आवश्यक हो जाता है। लॉकडाउन में घर के सदस्य रखें खयाल - डॉ. ईशान्य राज ने कहा कि लॉकडाउन में अपनी दिनचर्या को स्वस्थ और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए घर के सभी सदस्य एक दूसरे का सहयोग करें और सकारात्मक विचार ही रखें। खासकर महिलाओं पर इस समय घर के कार्य का दबाव बहुत अधिक है, पहले महिला

होम आईसोलेशन के नियमों में हुआ संशोधन

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  प्रयागराज : कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अधिक सतर्क रहने की निरंतर सलाह दी जा रही है। कोरोना की पहली लहर की तुलना में इस बार अधिक लोग अस्पतालों तक पहुंच भी रहे हैं। लेकिन हल्के या बिना लक्षण वाले कोविड मरीज घर पर रहकर भी स्वस्थ हो सकते हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने होम आईसोलेशन के नियमों में बदलाव करते हुए संशोधित गाइडलाइन्स जारी की है। यद्यपि, पिछले साल 2 जुलाई को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के माइल्ड एवं बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आईसोलेशन की सलाह दी थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर इसमें कुछ बदलाव किये गए हैं। योग्य मरीजों को ही होम आई आईसोलेशन में रहने की सलाह - गाइडलाइन में सभी कोविड मरीजों को होम आईसोलेशन में रहने की सलाह नहीं दी गयी है। होम आईसोलेशन के लिए ईलाज कर रहे चिकित्सक के द्वारा चिकित्सकीय जांच के आधार पर हल्के/ बिना लक्षण वाले मरीज के तौर पर प्रमाणित करने की जरूरत को अनिवार्य बताया गया है। ऐसे मामलों में मरीज के घर पर सेल्फ- आईसोलेशन और परिवार के लोगों को क्वारंटीन करने के लिए पर्याप्त

बच्चों में कोविड-19 के पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन

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  प्रयागराज: आने वाले दिनों में कोविड-19 का असर बच्चों पर होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक सिर्फ कोरोना से ग्रसित गंभीर बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होगी। बाकी का इलाज होम आइसोलेशन में रखकर किया जा सकता है। गाइडलाइन के मुताबिक जिन बच्चों का आक्सीजन लेवल 90 से नीचे गिरता है, उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए। गाइडलाइन में बच्चों को इस्टीरायड देने की मनाही की गई है। सिर्फ गंभीर बच्चों को जरूरत पड़ने पर यह दवा देने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल हो रही रेमडिसिविर, आइवरमेक्टिन, फैवीपिराविर जैसी दवाओं को बच्चों को देने से मना किया गया है।   गाइडलाइन में आगे कहा गया है कि जिन बच्चों का आक्सीजन लेवल 90 से कम आता है उन्हें गंभीर निमोनिया, एक्यूट रिसपाइटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सैप्टिक शाक, मल्टी आर्गन डिस्फक्शन सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे मरीजों को फौरन किसी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जाए और जरूरत पड़े तो आईसीयू में शिफ्ट किया जाए। इन बच्चों को इस्टीर

कोविड-19 का संक्रमण रोकने में कारगर है दो मास्क का इस्तेमाल

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प्रयागराज: लॉकडाउन के चलते कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम हुई है, लेकिन कोरोना वायरस का नया म्यूटेंट वैरिएंट बेहद खतरनाक है। यह समझना होगा कि वायरस सिर्फ ड्रॉपलेट नहीं बल्कि यह एयरोसोल भी है। वायरस के यह अणु पांच माइक्रॉन कटऑफ से भी छोटे हो सकते हैं जो ज़्यादा वक़्त तक हवा में मौजूद रह सकते हैं। इसलिए मास्क ही कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने में सबसे कारगर है। इसके मद्देनजर स्वास्थ मंत्रालय ने एक साथ दो मास्क के प्रयोग की सलाह दी है। इसका पालन करने से काफी हद तक संक्रमण से बचा जा सकता है। चेहरे पर पहला मास्क सर्जिकल मास्क होना जरूरी है। इसके ऊपर घर का बना या बाज़ारों में उपलब्ध दो या तीन परत वाले सूती कपड़े के मास्क का प्रयोग किया जा सकता है। एक ही प्रकार के दो मास्क बिल्कुल न इस्तेमाल करें। N-95 मास्क का इस्तेमाल करें तो उसके साथ दूसरा मास्क न लगाएँ। मास्क का प्रयोग पॉजिटिव व्यक्ति से वायरस के फैलाव को रोकता है बल्कि स्वस्थ लोगों को इसके चपेट में आने से बचाता भी है। मास्क ही मात्र एक ऐसा विकल्प है जो कोरोना के साथ-साथ अन्य संक्रमण से भी हमें सुरक्षा देता है। मास्क का चेहरे पर फिट बैठना बेह

कोविड संक्रमण से स्वस्थ्य होने पर 3 माह बाद लें टीका

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  प्रयागराज, : कोविड संक्रमण से ठीक हुए लोगों को अब 3 महीने के बाद टीका दिया जाएगा. वहीं, ऐसे लोग जो टीके का पहला डोज लेने के बाद संक्रमित हुए हैं, उन्हें भी 3 महीने के बाद ही दूसरा डोज लेने की सलाह दी गयी है. कोविड टीकाकरण कार्यों और वैक्सीन के प्रभावों की निगरानी कर रहे नेशनल एक्पर्ट ग्रूप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 की सलाह पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार ने इस संबंध में पत्र जारी कर जानकारी दी है. टीकाकरण की रणनीति तैयार करने में भी यह एक्पर्ट ग्रूप अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. कोविड आपदा को लेकर लगातार बदलते हालात तथा वैश्विक स्तर पर टीकाकरण से जुड़े वैज्ञानिक साक्ष्यों तथा अनुभवों को देखते हुए नेशनल एक्सपर्ट ग्रूप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 द्वारा यह सलाह दी गयी है.  नेशनल एक्सपर्ट ग्रूप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 ने दी सलाह  पहला डोज लेने के बाद संक्रमित होने पर भी 3 महीने के बाद लें दूसरा डोज  धात्री माताएं भी ले सकती हैं टीका  टीकाकरण के 14 दिन बाद कर सकते हैं रक्तदान धात्री माताएं भी ले सकती हैं टीका: स

कोविड प्रबंधन - ग्रामीण स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर बनने की योजना

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  प्रयागराज: देश में कोविड-19 के प्रसार के प्रबन्धन के लिए अब ग्रामीण स्तर पर केयर सेंटर, हैल्थ सेंटर और हॉस्पिटल बनाए जाएंगे, जो पूर्णतया कोविड समर्पित होंगे। शुरुआत में कोविड के ज़्यादातर केस शहरों में देखने को मिल रहे थे, लेकिन धीरे धीरे इसका ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भी प्रसार देखा जा रहा है। शहरी, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कोविड-19 मामलों के बड़े प्रसार के साथ, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हैकि इन क्षेत्रों में कोविड आधारित सेवाएं और प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो। इसीलिए अब ग्रामीण स्तर पर कोविड केयर सेंटर, हैल्थ सेंटर और हॉस्पिटल बनाने की योजना बनाई जा रही है। वर्तमान में ग्रामीण स्तर पर फ्रंटलाइन वर्कर के द्वारा सर्दी जुकाम, खांसी, बुखार इत्यादि लक्षण मिलने वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जा रही है, जहां उन्हें मेडिकल किट उपलब्ध कराई जा रही है।किट के साथ दिए जा रहे पर्चे में दवाइयों के सेवन का तरीका व दिन लिखा हुआ है, ताकि लोगों को दवा के सेवन में कोई दिक्कत न हो।मेडिकल किट के साथ लक्षणयुक्त व्यक्ति को कोविड की जांच के लिए प्रेरित किया जा रहा है, साथ

अब 84 दिन बाद ही लग पाएगी कोविशील्ड टीके की दूसरी डोज

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 कौशाम्बी : कोविड वैक्सीन कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच के अंतराल को 42 दिन से बढ़ाकर 84 दिन कर दिया गया है। इसका अपडेट रजिस्ट्रेशन साइट पर भी डाल दिया गया है। अब पहली डोज लगवाने के 84 दिन बाद ही लाभार्थी दूसरी डोज लगवा सकते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी.एन चतुर्वेदी ने कहा सरकार की तरफ से संशोधित गाइड लाइन मिली है, जिसके अनुसार ही अब टीकाकरण किया जायेगा सभी जनपदवासियों से अपील है कि वह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों का पूर्ण सहयोग करें | जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. हिन्द प्रकाश मणि ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी एक पत्र का हवाला देते हुये बताया कि अब कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज में 84 दिन के अंतर पर ही केंद्र पर जाकर टीका लगवाना संभव हो पाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 45 वर्ष से ऊपर के लाभार्थियों को 10 मई के बाद से बिना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराए वैक्सीन की पहली डोज नहीं लगाई जा रही है। सर्विलांस अधिकारी डॉ. यश अग्रवाल ने बताया कि कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया काफी आसान है | सेल्फ रजिस्ट्रेशन कोविन वेबसाइट पर जाकर स्वयं

कोविड उपचाराधीनों की निगरानी कर रही रैपिड रेस्पांस टीम

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  प्रतापगढ़ | कोविड संक्रमण बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने कोविड पॉजिटिव मरीज जो होम आइसोलेशन में हैं उनकी निगरानी कर जरूरी मदद पहुंचाने का निर्णय लिया है | इसके लिए शासन की तरफ से गाइड लाइन जारी कर निर्देश दिए गए हैं | इसके अलावा बढ़ते मरीजो की संख्या को देखते हुए एंटीजन एवं आर.टी.पी.सी.आर जाँच के लिए प्रयोगशालाओं की क्षमता में वृद्धि भी की गयी है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए.के श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद में 106 ग्रामीण क्षेत्र में रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) तथा 17 शहरी क्षेत्र में रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया गया है, जिसमें नगरीय निकाय / ग्रामीण के प्रशासनिक सदस्यों को सम्मलित किया गया है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में 1183 कोविड पॉजिटिव मरीज हैं उन्होंने कहा कि जांच के बाद कोविड पॉजिटिव होने की स्थिति में आरआरटी का काम शुरू हो जाता है। आरआरटी पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर सबसे पहले संबंधित के घर का दौरा कर यह तय करती है प्रभावित को होम आइसोलेशन में रखा जा सकता है या फिर उसे कोविड अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है। दरअसल अधिकतर मरीज होम आइसोलेशन में रहकर ठी

मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी : डॉ. जयनाथ

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  कौशाम्बी : कोविड-19 के चलते वर्तमान में हर किसी के सामने तमाम दिक्कतें और चुनौतियाँ हैं| हमारी सामान्य से चलने वाली जिंदगी में अचानक से ठहराव सा आ गया है | सामान्य गतिविधियां भी असामान्य गतिविधियों की श्रेणी में आने लगी हैं | साथ ही हमने नॉर्मल से न्यू नॉर्मल की तरफ जाते हुए, यह सीख ली है कि * दो गज दूरी, मास्क है जरूरी|* जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम कौशांबी के मनोचिकित्सक व परामर्शदाता डॉ जयनाथ बीपी का कहना है कि प्रतिदिन मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन में 15 से 20 लोगों की इस तरह की परेशानियों से रूबरू होते हैंl लोगों की शिकायत नींद की कमी, घबराहट चिंता, बेचैनी, अकारण उलझन आदि समस्याएं देखी गई हैंl उन्होंने बताया कि मनोचिकित्सीय विश्लेषण पर पता लगता है कि वर्तमान में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण जो स्थिति है उससे लोग अब भी सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे हैं और मानसिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं l इस परिस्थिति से उबरने के लिए मरीजों को सिर्फ हेल्पलाइन नंबर पर परामर्श ही नहीं बल्कि कोविड-19 के दौरान भर्ती हुए कोविड-19 मरीजों को तनाव प्रबंधन, सकारात्मक मनोवृति और सोच, प्रॉब्लम सॉल्विंग

बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो न करें नजरंदाज : डॉ. पियाली

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  प्रयागराज : महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में संचालित 180 बाल गृहों में रह रहे शून्य से 18 साल के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने को लेकर शनिवार को विभागीय कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया । बच्चों में कोरोना के लक्षणों और बचाव के तरीकों पर विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी । बाल गृहों के कर्मचारियों के क्षमतावर्धन के लिए कोविड वर्चुअल ग्रुप द्वारा आयोजित वेबिनार में बाल गृहों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया । सभी का यही कहना था कि बाल गृहों में साफ़-सफाई, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत है । बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो न करें नजरंदाज : डॉ. पियाली बाल गृहों के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने पर मंथन  बाल गृहों के कर्मचारियों को बच्चों में कोरोना के लक्षणों व बचाव पर दिए टिप्स  निदेशक, महिला कल्याण मनोज राय ने कहा- व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने पर जोर  महिला एवं बाल विकास के तहत प्रदेश में संचालित हो रहे 180 बाल गृह  बाल गृहों में रह रहे शून्य से 18 साल तक के

“धैर्य और लगन की मिसाल हैं नर्स सुलेखा

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  कौशाम्बी | जब भी हम "नर्स" शब्द की कल्पना करते हैं तो हमारे दिमाग में सफेद पोशाक में लिपटी महिला की एक ऐसी सौम्य छवि उभर कर आती है जो डॉक्टर के अतिरिक्त तकलीफ से गुजरती जिंदगियों को अपनी सेवा व मुस्कान से जीवनदान देने का प्रयास करती रहती है । जनपद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा में पिछले छह वर्षों से कार्यरत स्टाफ नर्स सुलेखा किसी परिचय की मोहताज नहीं ।, मरीज को समय से दवा व सुई देनी हो या फिर सामान्य प्रसव कराना हो यह सभी चुनौतीपूर्ण कार्य कर रहीं सुलेखा धैर्य और लगन की मिसाल हैं। मरीज़ को स्वस्थ देखकर मेहनत सफल सुलेखा बताती हैं कि, मई 2015 में नेवादा सीएचसी में नियुक्ति के बाद से कई ऐसे डिलीवरी केस हुए जो काफी हद तक कठिन थे पर जब प्रसव कराने के बाद माँ और बच्चे को स्वस्थ देखते हैं तब ऐसा लगता है मेरी मेहनत सफल हो गयी। इस महामारी के दौर में भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा देना मेरा पहला कर्तव्य हैं | सुलेखा बताती हैं पिछले साल इसी कोरोना काल में जब पी.पी.ई. किट पहन कर महिला का सुरक्षित प्रसव कराया तो एक अजीब सी ख़ुशी हुई | सुकून मिलता हैं लोगों के चेहरे पर ख़ुशी देखकर | रोज

रैपिड रेस्पांस टीम करेगी कोविड उपचाराधीनों की निगरानी

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  • कोविड पॉजिटिव और उनके परिवार से भेदभाव न करें • टीकाकरण के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन जरूरी कौशाम्बी : कोविड संक्रमण बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने कोविड पॉजिटिव मरीज जो होम आइसोलेशन में हैं उनकी निगरानी कर जरूरी मदद पहुंचाने का निर्णय लिया है | इसके लिए शासन की तरफ से गाइड लाइन जारी कर निर्देश दिए गए हैं | इसके अलावा बढ़ते मरीजो की संख्या को देखते हुए एंटीजन एवं आर.टी.पी.सी.आर जाँच के लिए प्रयोगशालाओं की क्षमता मेंवृद्धि भी की गयी है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी.एन चतुर्वेदी ने बताया कि जनपद में 39 रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया गया है, जिसमें नगरीय निकाय / ग्रामीण के प्रशासनिक सदस्यों को जोड़ना रह गया है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में 148 कोविड पॉजिटिव मरीज हैं जिनके लिए 27 आरआरटी सक्रिय हैं | यदि पॉजिटिव मरीजो की संख्या बढ़ी तो बाकी 12 आर.आर. टी. को सक्रिय कर दिया जायेगा | उन्होंने कहा कि जांच के बाद कोविड पॉजिटिव होने की स्थिति में आरआरटी का काम शुरू हो जाता है। आरआरटी पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर सबसे पहले संबंधित के घर का दौरा कर यह तय करती है प्रभा

सब तक वैक्सीन की पहुँच बनाने में लगा गेट्स फ़ाउंडेशन

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  प्रयागराज : भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप को देखते हुए बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) प्रयासरत है कि ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन जल्द से जल्द पहुंचे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके। भारत में भी अधिक से अधिक वैक्सीन पहुंचाने की कोशिश में बीएमजीएफ • सीईओ ने कहा, फाउंडेशन ने दिया कई कंपनियों को लोन ताकि जल्द से जल्द अधिक से अधिक वैक्सीन बन सकें • वैक्सीन बनाने में उपयोग होने वाले मटेरियल का भी भंडारण किया, कंपनियों के बीच तकनीक का आदान-प्रदान भी किया • किसी भी बाधा को वैक्सीन के पहुंच के रास्ते में नहीं खड़ा होना चाहिए - सीईओ मार्क सूज़मैन फाउंडेशन के सीईओ मार्क सूजमैन ने शनिवार को बताया कि बीएमजीएफ की विभिन्न वैक्सीन निर्माता कंपनियों से बातचीत चल रही है। फाउंडेशन ने वैक्सीन के निर्माण व सुचारू वितरण के लिए 3000 लाख डालर से ज्यादा का निवेश किया है। इसके अलावा 3000 लाख डालर का लोन कंपनियों को दिया है ताकि जल्द से जल्द भारत में वैक्सीन पहुंच सके। इसमें भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन का लक्ष्य 2000 लाख वैक्सीन तैयार कराने का

साइकोलॉजिकल इम्यूनिटी के लिए आवश्यक है भरपूर नींद

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  साइकोलॉजिकल इम्यूनिटी के लिए आवश्यक है भरपूर नींद  स्वस्थ नींद के लिए अपनाएं स्लीप हाईजीन के टिप्स प्रयागराज: वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण से पूरा देश लड़ रहा है। कोरोना शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी लोगों को परेशान कर रहा है। इस लड़ाई में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को एक बड़ा हथियार माना जा रहा है। उचित पोषण लेने से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, लेकिन आज शारीरिक क्षमता के साथ ही साइकोलॉजिकल इम्यूनिटी या मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है अच्छी नींद। मोतीलाल मण्डलीय चिकित्सालय की नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. ईशान्य राज कहती हैं कि कोविड-19 के कारण लोग अपने घरो में रहने को मजबूर हैं, रोज़गार के साथ ही भविष्य की चिंता भी लोगो में बढ़ रही है। खासकर कोरोना से किसी भी तरह से प्रभावित लोगों में मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ा है। चिंता, अवसाद और अफवाहों के चलते लोगों की नींद पर भी बहुत असर पड़ रहा है जो चिंता की बात है । क्योंकि नींद शरीर को आराम देने के साथ ही साइकोलॉजिकल इम्यूनिटी या मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता देने का कार्य भी कर

कमजोर इम्युनिटी वालों को हो रहा म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण

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  • यह एक दुर्लभ फंगल इन्फेक्शन है जो कोरोना काल में ज्यादा हो रहा है • कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में यह इन्फेक्शन देखने को मिल रहा है • डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक, शुगर लेवल नियंत्रित रखें प्रयागराज: कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच कई लोग म्यूकोरमाइकोसिस नाम के फंगल इन्फेक्शन की चपेट में आ रहे हैं। यह दुर्लभ फंगल इन्फेक्शन है जो किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर होता है | कोविड-19 और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह इन्फेक्शन और ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। इस संक्रमण को `ब्लैक फंगस’ के नाम से भी जाना जाता है| क्या है म्यूकोरमाइकोसिस? इंडियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार म्यूकोरमाइकोसिस फंगल इंफेक्शन है, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन नाक, आँख, दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है, वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। कोरोना के मरीजों को ज्यादा खतरा म्यूकोरमाइकोसिस आम तौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है जिन लोगों मे

जनपदवासी अब टेलीमेडिसिन सुविधा से ई-ओपीडी कालें लाभ –सीएमओ

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    कौशाम्बी  : कोरोना वायरस (कोविड-19 ) के बढ़ते प्रसार के द्रष्टिगत जनमानस को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सामान्य मरीजों को अस्पताल जाने की बजाय घर बैठे ही चिकित्सकीय परामर्श देने के लिए टेलीमेडिसिन सुविधा से निःशुल्क ई-ओपीडी का लाभ दिलाने के लिये मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा निर्देश दिए गए । उन्होंने निर्देश दिए कि लॉक डाउन के दौरान अस्पतालों में ओपीडी बंद होने से मरीजो को असुविधा हो रही हैं इस लिए सभी रोग विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों द्वारा सामान्य रोगियों के इलाज हेतु टेलीमेडिसिन, टेलीफोन के माध्यम से चिकित्सीय परामर्श निःशुल्क उपलब्ध कराया जाये। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पी.एन चतुर्वेदी ने बताया कि टेलीमेडिसिन सुविधा का संचालन 24 घंटे ऑनकॉल होगा। उन्होंने कहा कि मरीजों को ऑन कॉल चिकित्सीय सलाह निशुल्क दी जाएगी | उन्होंने बताया कि टेलीमेडिसिन की सुविधा और चिकित्सीय परामर्श के जरिये सामान्य बीमारियों जैसे सर्दी, बुखार, खांसी, सिर दर्द, पेट दर्द, त्वचा संबंधी बीमारी, संक्रामक रोग, शुगर, ब्लड प्रेशर, प्रसूति विशेषज्ञ, इ.एन.टी, सैकेट्रिक से परामर्श लिया जा सकता है। जिसके लिए चिकित्सक त

ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल सही तरीके से करना जरूरी

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  कौशाम्बी, 6 मई 2021 | कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं । इस बार कोरोना वायरस सीधे फेफड़ों पर असर डाल रहा है। इससे सांस लेने में परेशानी हो रही है और ऑक्सीजन लेवल में कमी आ रही है। मरीज को अपना ऑक्सीजन लेवल समय-समय पर चेक करते रहना चाहिए। इसके लिए ऑक्सीमीटर को सही तरीके से इस्तेमाल करना भी जरूरी होता है। नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हिन्द प्रकाश मणि का कहना है कि जो मरीज कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं और होम आइसोलेशन में हैं, वह समय पर डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही दवाएं लें। ऑक्सीजन लेवल की जांच जरूर करते रहें। इस दौरान घर में रहकर ही फेंफड़ों संबंधी एक्सरसाइज करते रहें। इससे भी ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है। ऑक्सीजन का लेवल 94% से कम आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह ले | ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए : - ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करने से पहले उंगली को साफ करें। - उंगली पर नाखून पॉलिश या रंग आदि नहीं लगा होना चाहिए। - ऑक्सीमीटर को 25-30 सैकेंड तक उंगली पर लगाकर रखें। फेंफडे की कसरत से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है : - सुबह उठकर अनुलोम-विलोम करें। सीढ़ियों पर चढ़े-उतरें।

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए अवश्य करें रक्तदान

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 विश्व थैलेसीमिया दिवस (8 मई) थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए अवश्य करें रक्तदान  मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना  थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता   गर्भ में पल रहे बच्चे का थैलेसीमिया परिक्षण बेहद जरूरी प्रयागराज :  प्रति वर्ष अनेक शिशुओं की जान थैलेसीमिया बीमारी के कारण चली जाती है। इस बीमारी के वाहक इस रोग को और अधिक न फैला सके इसके लिए हमें हर तीसरे महीने अपने रक्त की जांच करवानी चाहिए। साथ ही अगर माता-पिता या इनमें से कोई एक थैलेसीमिया से पीड़ित है तो गर्भावस्था के शुरुवाती समय 3 माह से पूर्व व 4 माह के भीतर गर्भ में पल रहे बच्चे का थैलेसीमिया परिक्षण करना बहुत ही जरूरी है।  थैलेसीमिया एक रक्त रोग है। यह माता पिता से बच्चों में अनुवांशिक तौर पर हो सकता है। शिशु को जन्म देने वाली माँ के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर माइनर थैलेसीमिया के लक्षण दिखते हैं। पर माँ व पिता दोनों के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। थैलेसीमिया बीमारी के प्रति जागरूकता ही इसका सबसे असरद

बिना पहचान पत्र वालो का भी होगा टीकाकरण

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  प्रयागराज: स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई पहचान पत्र न रखने वाले लोगों का टीकाकरण करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक ऐसे लोगों को कोविन ऐप में पंजीकृत किया जाएगा और उनके टीकाकरण के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन लोगों की पहचान करने की जिम्मेदारी जिला शासन की होगी। मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को वैक्सीनेशन कराने के लिए किसी पहचान पत्र का होना जरूरी है। इसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर कार्ड या पेंशन पेपर शामिल हैं। लेकिन अगर किसी के पास यह पहचान पत्र नहीं हैं तो उन्हें वैक्सीनेशन से वंचित नहीं रखा जा सकता। इसी के मद्देजनर मंत्रालय ने ऐसे लोगों का टीकाकरण कराने के लिए गाइलाइन जारी की है। इस श्रेणी में बुजुर्ग, साधु-संत, जेल में बंद कैदी, मानसिक अस्पतालों में भर्ती मरीज, वृद्धाश्रम के लोग, भिखारी, पुनर्वास केन्द्रों में रह रहे मरीज शामिल होंगे। ऐसे लोगों को ढूंढने का काम जिले की टास्क फोर्स करेगी। वह अल्पसंख्यक विभाग, सामाजिक न्याय विभाग व समाज कल्याण विभाग के सहयोग से ऐसे लोगों की पहचान कर सकती है।

कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को सरकार का साथ

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  प्रयागराज । कोरोना ने बहुत से परिवारों से उनकी खुशियाँ हमेशा-हमेशा के लिए छीन ली हैं, जिन परिवार में कल तक किलकारियां गूंजा करतीं थीं, आज उसी घर में बच्चे गुमशुम नजर आ रहे हैं । ऐसे ही बच्चों के जीवन में फिर से खुशियाँ लाने की हरसंभव कोशिश में सरकार जुटी है । जिन बच्चों ने कोरोना के चलते अपने माता-पिता को खोया है, उनकी चिंता सरकार को है और अब ऐसे बच्चों और परिवार की पहचान कर उन्हें हरसंभव मदद पहुंचाने की तरफ कदम बढ़ाया गया है । इसके अलावा ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता कोरोना को मात देने के लिए अस्पताल में भर्ती हैं या होम आइसोलेशन में हैं और बच्चे की देखभाल करने वाला परिवार में कोई नहीं है, उन बच्चों के संरक्षण पर भी पूरा ध्यान है । प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग वी. हेकाली झिमोमी ने सूबे के सभी जिलाधिकारी को कोविड-19 से प्रभावित/अनाथ हुए 18 साल से कम उम्र के बच्चों की पहचान कर सूची तैयार करने को कहा है । यह सूची 15 मई तक निदेशक, महिला कल्याण और राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजनी है ताकि ऐसे बच्चों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके । महिला कल्याण विभाग का कहना है कि इस सूची को तैय

कौशांबी :कोविड के प्रति जागरूकता अभियान आज से

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  कौशाम्बी:  कोविड के संक्रमण को रोकने के लिए बुधवार (5 मई) से पांच दिवसीय विशेष अभियान जिले में शुरू होने जा रहा है। इसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व एएनएम समेत स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। कोविड-19 नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 हिन्द प्रकाश मणि ने बताया कि अब भी लोग कोरोना की जांच नहीं करा रहे हैं और अपने घर पर ही बैठे हैं | यह कोरोना को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं । इसी को संज्ञान में लेकर जनपद में 5 मई से 9 मई तक सभी विकास खण्डों में लगातार निगरानी समिति के सदस्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा, एएनएम व स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाया जायेगा व सावधानियों के विषय में लोगों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी जायेगी । इसके लिए निगरानी समिति के सदस्यों को अवगत कराया जा चुका है । इस अभियान में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अभियान के दौरान सर्दी, जुकाम व कोरोना के अन्य लक्षण दिखने पर उनको नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाकर उपचार कराया जायेगा। अभियान के दौरान कोविड के नियमों का कठोरता

प्रयागराज :कोविड-19 के प्रति जागरूकता के लिए विशेष अभियान आज से

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  प्रयागराज : कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने और बचाव के तारीकों से समुदाय को अवगत कराने के लिए विशेष अभियान बुद्धवार (5 मई) से शुरू किया जा रहा है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित रोगियों की पहचान की जाएगी और मेडिसिन किट भी उपलब्ध करायी जाएगी। • ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर चलेगा अभियान • संभावित रोगियों की होगी पहचान • पल्सपोलियो की तर्ज पर होगा माइक्रोप्लान • 9 मई तक हर दिन टीम करेंगी कार्य यह विशेष अभियान सभी ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जायेगा। अभियान का मुख्य उद्देश्य कोविड -19 के बढ़ते संक्रमण और लक्षणों के प्रति संवेदीकरण करना है। साथ ही वह रोग से बचाव और उपलब्ध जाँच व उपचार की जानकारी भी दी जाएगी। इस कार्य में फ्रंट लाइन वर्कर घर-घर जा कर लोगों को जानकारी देंगे। जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनोद कुमर सिंह ने बताया कि सी.एम.ओ. डॉ. प्रभाकर राय के निर्देशानुसार इस अभियान के लिए 2-2 सदस्यों की टीम बनाई गई है। अभियान के सफल संचालन के लिए सोमवार को प्रशिक्षण भी दिया गया है। टीम लक्षणों के आधार पर व्यक्ति की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध करेगी और जाँच के लिए निकट के जाँच केन्द्र पर भेजे

कोरोना के नए लक्षणों को न लें हल्के में हो जाएँ सचेत और कराएँ जाँच

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  कौशाम्बी: शरीर में अगर बुखार, खासी, साँस फूलना, सिरदर्द, बदन दर्द, दस्त, कमजोरी, जैसे लक्षणों का दिखना शुरू हो गया है तो आपको सचेत होने की जरूरत है | इसको लेकर बिल्कुल घबराएं नहीं बल्कि सही समय पर सही इलाज कराएं | मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पी.एन चतुर्वेदी का कहना है कि इस बार संक्रमण सीधे फेफड़ों तक पहुंच जा रहा है । लोगों को जब तक पता चले कि वह कोविड-19 पाजिटिव हो गए हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इस बार लंग्स को प्रभावित करने के बाद कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इस बार कुछ मरीजो में दो से तीन दिन में ही तबीयत बिगड़ जा रही है। कोरोना की चपेट में आते ही उन्हें सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बार एक और बात सामने आई है कि गंभीर मरीजो में आक्सीजन सैचुरेशन लेवल चिकित्सीय मानक 94 फीसद से बहुत जल्दी कम हो जा रहा हैं | उन्होंने बताया कि अगर शरीर में इन लक्षणों का दिखना शुरू हो गया है तो आपको सचेत होने की जरूरत है, चिकितासीय सलाह की आवश्यकता हैं, घबराएं नहीं बल्कि सही समय पर सही इलाज कराएं। कोरोना के नए अथवा पुराने लक्षण खतरे के लक्षण सिर में लगातार दर्द होना। यह

वेंटिलेटर पर भर्ती कोरोना मरीज़ो का जीवन बचाने में जुटी हूं : एनेस्थैटिक डॉ. नीलम सिंह

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प्रयागराज: कोविड-19 की रोकथाम में चिकित्सकों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनमें एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सकों ने भी कोविड-19 में आइसीयू व एचडीयू वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों के उपचार में भरपूर मदद की है। संक्रमण के सबसे करीब होने पर भी फर्ज के आगे कभी इनके हौसले नहीं डगमगाएँ। कोरोना से जंग में शामिल ऐसी ही एनेस्थैटिक हैं डॉ. नीलम सिंह। 160 कोरोना पॉज़िटिव गर्भवती को एनेस्थीसिया देकर ऑप्रेशन जनपद के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कार्यरत एनेस्थैटिक डॉ. नीलम सिंह (कोविड आईसीयू इंचार्ज, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया क्रिटिकल केयर) ने कोरोना काल में करीब चार हज़ार से ऊपर कोरोना पॉज़िटिव मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही करीब 160 कोरोना पॉज़िटिव गर्भवती को एनेस्थीसिया देकर ऑप्रेशन से सुरक्षित एवं सफल प्रसव कराया है। इसके साथ ही पेट, पैर, आदि सैकड़ों ऑपरेशन में मरीजों को एनेस्थीसिया देकर ऑपरेशन को संभव बनाया। डॉ. नीलम बीते सितम्बर माह में स्वयं पॉजिटिव हो गई थी, पर ठीक होते ही पुनः लोगो के उपचार में लग गईं। उनकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला दि