“धैर्य और लगन की मिसाल हैं नर्स सुलेखा
कौशाम्बी | जब भी हम "नर्स" शब्द की कल्पना करते हैं तो हमारे दिमाग में सफेद पोशाक में लिपटी महिला की एक ऐसी सौम्य छवि उभर कर आती है जो डॉक्टर के अतिरिक्त तकलीफ से गुजरती जिंदगियों को अपनी सेवा व मुस्कान से जीवनदान देने का प्रयास करती रहती है ।
जनपद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा में पिछले छह वर्षों से कार्यरत स्टाफ नर्स सुलेखा किसी परिचय की मोहताज नहीं ।, मरीज को समय से दवा व सुई देनी हो या फिर सामान्य प्रसव कराना हो यह सभी चुनौतीपूर्ण कार्य कर रहीं सुलेखा धैर्य और लगन की मिसाल हैं।
मरीज़ को स्वस्थ देखकर मेहनत सफल
सुलेखा बताती हैं कि, मई 2015 में नेवादा सीएचसी में नियुक्ति के बाद से कई ऐसे डिलीवरी केस हुए जो काफी हद तक कठिन थे पर जब प्रसव कराने के बाद माँ और बच्चे को स्वस्थ देखते हैं तब ऐसा लगता है मेरी मेहनत सफल हो गयी। इस महामारी के दौर में भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा देना मेरा पहला कर्तव्य हैं | सुलेखा बताती हैं पिछले साल इसी कोरोना काल में जब पी.पी.ई. किट पहन कर महिला का सुरक्षित प्रसव कराया तो एक अजीब सी ख़ुशी हुई | सुकून मिलता हैं लोगों के चेहरे पर ख़ुशी देखकर |
रोज ही होता है नर्स डे
सुलेखा सिंह बताती हैं, भर्ती मरीज का ड्रिप बदलती हैं तब तीमारदार उनसे पूछते हैं 'अभी और कितनी लगेगीं।' वह मुस्कुरा कर जवाब देती हैं 'बस एक और।' इसके बाद वह दूसरे रूम में मरीज को देखने चली जाती हैं। सुलेखा से जब उनसे नर्स डे के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि उनके लिए रोज ही नर्स डे है। मरीजों की सेवा करके जो आत्मसंतुष्टि मिलती है | उसको वह शब्दोंं में बयां नहीं कर सकती। कई बार लोग अपने गंभीर मरीजों को छूते भी नहीं हैं। उनकी साफ-सफाई, उनका बिस्तर साफ करना, स्पंज करना, दवाई देना सारे काम उन्हें ही करने होते हैं। वह बताती है कि उन्हें तो डबल ड्यूटी करनी पड़ती है। अस्पताल के साथ घर की भी जिम्मेदारी निभानी होती है।
कायाकल्प में प्रदर्शन करने पर मिला सम्मान
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से वित्तीय वर्ष 2017-18 में चिकित्सीय कार्य के लिए पत्र मिला | साथ ही इसी वर्ष नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैण्डर्ड (एन.क्यू.ए.एस) में पी.एच.सी नेवादा को प्रदेश स्तर पर दूसरा स्थान मिला हैं |
परिवार नियोजन एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस क्षेत्र में शत-प्रतिशत सफलता के लिए महिलाओं की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण है। परिवार बढ़ाने की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधे पर होती है, ऐसे में परिवार नियोजन का फैसला भी उन्हें ही लेना होगा। अब तो कोरोना से बचाव के साथ ही काउन्सलिंग भी करते हैं |
पीएचसी में यहां औसतन 6 से 10 प्रसव प्रतिदिन होते हैं। इसमें लेबर रूम की स्टाफ नर्स सुलेखा का योगदान महत्वपूर्ण है।
चिकित्सा अधीक्षक नेवादा डॉ.. विजेता सिंह ने बताया कि सुलेखा निष्ठापूर्वक काम करने वाली हैं जरूरत पड़ने पर अवकाश के दिन भी घर से आकर सेवा देने के लिए तत्पर रहती हैं।
नर्स दिवस : यह भी जानें
नर्सिंग प्रणाली की संस्थापक फ्लोरेंस नाईटिंगल के जन्मदिन 12 मई को हर वर्ष नर्स दिवस के रूप में मनाते हैं। वर्ष 1965 से यह दिवस अंतरराष्ट्रीय नर्स काउंसिल द्वारा नर्स दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हर वर्ष के नर्स दिवस की थीम अलग-अलग होती है। वर्ष 2021 में नर्स दिवस की थीम है, एक आवाज नेतृत्व की ओर भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए एक दृष्टिकोण |
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