परिजन की जागरूकता से हारेगा क्लब फुट : डॉ. ए आर पाल

 प्रयागराज : तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय (बेली) में शनिवार को क्लब फुट के संदर्भ में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां कुल 8 बच्चों की चिकित्सकों द्वारा टेनोटॉमी की गई व कास्टिंग हेतु परिजनों को जागरूक किया गया।

गर्भ में ही कुछ बच्चों के पैर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। बच्चों के जन्म के बाद इस बीमारी को सामान्य बोलचाल में जन्मजात दोष और मेडिकल की भाषा में क्लब फुट कहते हैं। डॉ के के सिंह आर्थोपेडिक सर्जन बेली ने बताया कि बच्चे दिव्यांगता का दंश न झेलें इसको लेकर नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत “राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके”) में सहयोगी संस्था मिराकल क्लब फुट क्लीनिक का संचालन कर रही हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके”) के तहत ऐसे बच्चो का चिन्हीकरण का कार्य आंगनबाड़ी केंद्र तथा स्कूल में टीम के द्वारा व डिलेवरी पॉइंट पर किया जाता है। आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों से संपर्क कर सहयोगी संस्था मिराकल को बताती हैं ताकि इन बच्चो का उपचार शुरू किया जा सके। साथ ही परिजन को क्लब फुट की जानकारी देते हुए यह बताया जाता है कि यह एक सामान्य विकृति है। अगर बच्चे के इलाज में लापरवाही न की जाए तो उनका बच्चा आम बच्चों की तरह सामान्य हो सकता है और क्लब फुट विकृति को हरा कर, हर बचपन मुस्कुराएगा ।

अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. ए आर पाल ने बताया कि ऐसे बच्चे जिनके पन्जे जन्मजात मुड़े हैं इलाज के पहले चरण में उनकी कास्टिंग की जाती है उसके बाद एक छोटा सा आपरेशन किया जाता है। उसके उपरांत बच्चे का आपरेशन कर प्लास्टर किया जाता हैं। इसे टेनोटॉमी कहते हैं। जिसको हर सात दिन पर बदला जाता है। ये प्रक्रिया 4-6 बार की जाती है और उसके बाद तीसरे और आखरी चरण में बच्चे के पंजो का बेस बनाकर दिया जाता हैं। इसे ब्रेसिंग बोलते हैं, ताकि पंजे वापस से न मुड़े। इस इलाज की प्रक्रिया भले थोड़ी लम्बी है पर परिणाम बेहद सकारात्मक हैं। इसलिए माना जाता है कि परिजन की जागरूकता से हारेगा क्लब फुट।

क्लब फुट के इस जागरूकता कार्यक्रम में मौजूद जनपद के हनुमानगंज से आई सायना बानों ने बताया कि उनके 8 माह के बच्चे के दोनों पैर जन्मजात टेढ़े हैं। वह दूसरी बार बच्चे को लेकर आई हैं। जन्म की अपेक्षा अब थोड़ा सुधार बच्चे के पैर में देखने को मिल रहा है।
वहीं जनपद के आलेमऊ से आए हरिश्चंद्र ने बताया कि उनका बच्चा अभी 4 माह का है। उसका एक पैर टेढ़ा है। इसके उपचार के लिए वह पहली बार आए हैं। वहां मौजूद चिकित्सकों से मिली जानकारी के आधार पर अब वह निश्चिंत हैं कि उनका भी बच्चा आम बच्चों कि तरह सामान्य हो सकता है। उन्होंने कहा कि मैं एक परिजन होने के नाते चिकित्सकों की हर सलाह मानूंगा ताकि मेरे बच्चे का भविष्य सुनहरा कल देख सके।

मिराकल फीट संस्थान के जिला कार्यक्रम अधिकारी विक्रांत विश्वाश ने बताया कि ऐसे बच्चों का इलाज कराने के लिए परिजनों को महंगी रकम खर्च करनी पड़ती थी और बहुत दौड़ लगानी पड़ती थी। अब जनपद में ही जन्मजात पैर टेढ़े-मेढ़े वाले बच्चों के परिजन हमसे संपर्क शुरू कर रहे हैं। इन बच्चों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार को अस्पताल आने के लिए हम यात्रा हेतु किराया भी उपलब्ध कराते हैं। इसके साथ ही मिराकल संस्था शून्य से चार साल तक के बच्चों को नि:शुल्क विशेष जूता (ब्रेस) मुहैया कराता है।

Comments

Popular posts from this blog

बिशप मॉरिस दान और राकेश चतरी के ख़िलाफ़ हिंदूवादी संगठनों से जुड़े अधिवक्ताओं और छात्रों का प्रदर्शन

अम्बेडकर जयंती के अवसर पर वार्ड नं० 36 में हुआ पूजा, भजन व भंडारा

त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में हुआ महिला जागरुकता कार्यक्रम