मिशन शक्ति के अंतर्गत समाज में स्त्रियों की स्पष्ट भूमिका पर प्रेरक संवाद कार्यक्रम का आयोजन

 लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार के “मिशन शक्ति कार्यक्रम” के सम्यक दिशा-निर्देश के अंतर्गत महाराजा बिजली पासी राजकीय महाविद्यालय,आशियाना,लखनऊ में दिनांक- 8 अक्टूबर 2021 को महाविद्यालय “मिशन शक्ति कार्ययोजना” के अंतर्गत “प्रेरक संवाद आयोजन समिति” द्वारा स्त्रियों की उपलब्धियों और समाज में उनकी भूमिका को स्पष्ट करने के लिए एक प्रेरक संवाद कार्यक्रम “स्त्री के बढ़ते कदम: चुनौतियां और समाधान” विषय पर प्राचार्या प्रो0 सुमन गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित किया गयाI

इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और वक्ता डॉ0 अलका सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर,अंग्रेजी, डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा स्त्रियों की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रेणातमक संवाद है क्या? शक्ति के क्या उपादान हैं? शक्ति न केवल व्यक्ति विशेष, परिवार, के सामंजस्य से आती है, अपितु स्वयं से संवाद की आवश्कता है, संवेदनाओं के सम्यक संस्प्रेषण से प्रेरित है। शक्ति साहित्य के स्थान में है, बदलते स्रोतों और भावों से उत्पन्न होती है। डॉ सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि मिशन शक्ति के बिंदुवार विषय बालिकाओं , छात्रों और कार्यस्थल पर चिंतन, और शोध के अवसर प्रदान करते हैं।

जब हम लैंगिक समानता की बात करते हैं, तब "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" , पोषण, शारीरिक एवं मानसिक की बात करते हैं माहवरी समेत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही एनीमिया कन्ट्रोल सर्वे की महत्ता , कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न , उसके प्रकार, रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम समेत अन्य विधिक पहलुओं पर संवाद अपने आप में वो प्रेरणा हैं ,जिससे खुलकर विभिन्न विषयों पर यदि बात रखें तो समाज दिशा निर्धारित होगी। स्त्री स्वयं के अस्तित्व को पहचान कर प्रेरक शक्ति के रूप में परिवर्तित हो सकती है, जो मिशन शक्ति का मुख्य उद्देश्य भी है I महिला उद्यमिता विकास पर बात करते हुए डॉ अलका सिंह ने यह भी कहा की स्त्रियों को आर्थिक रूप से भी स्वावलंबी होना है । अपने व्याख्यान में उन्होने मानसिक और बौद्धिक स्तर पर स्वावलंबन हासिल करने हेतु, एक सवाल भी छात्रों से पूछा, "हू इज अ वूमेन एंटरप्रेन्योर?" I

स्त्री-विमर्श एवं स्त्री संबंधी अन्य विषयों पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए डॉ सिंह ने अपनी दो पुस्तकों " कलर्स ऑफ ब्लड" एवं "भाव संचार"का जिक्र करते हुए खुले आसमान को छूने के लिए छात्राओं को प्रेरित किया I पुस्तकों को उन्होने महाविद्यालय के पुस्तकालय हेतु प्रधानाचार्य को प्रदान भी किया।प्रेरणात्मक संवाद कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन डॉ0 उमा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर-संस्कृत एवं अन्य समिति सदस्यों द्वारा किया गया I इस अवसर पर महाविद्यालय के 20 प्राध्यापक, 60 छात्राएं व 40 छात्र और कर्मचारी उपस्थित रहे I

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