गुमशुदा हुए कई बुजुर्ग अल्जाइमर डिमेंशिया से पीड़ित

 प्रयागराज  : गुमशुदा बुजुर्गों की तस्वीर दीवारों, टैक्सी स्टैंड, बस अड्डे व अन्य सार्वजनिक जगहों पर देखने को मिल जाती है। परिजन बस यही बता पाते हैं की ‘घर के बुजुर्ग की मानसिक स्थिति कुछ दिनों से सही नहीं थी, वह घर से बाहर घूमने के लिए निकले फिर घर वापस नहीं आए। ऐसे मामलों में यह पाया गया है की गुमशुदा हुए इनमें से ज़्यादातर बुजुर्ग मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी अल्जाइमर डिमेंशिया अर्थात मनोभ्रंश (भूलने की बीमारी) से पीड़ित थे। नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ॰ ईशान्या राज इस बीमारी के कारण व बचाव के बारे में बता रही हैं।

बीमारी का कारण

उन्होने बताया कि मस्तिष्क में नई कोशिकाएं लगातार बनती है और कई कोशिकाएं नष्ट होती जाती हैं। 65 वर्ष के होने के बाद से कोशिकाओं के नष्ट होने की मात्रा बढ़ती जाती है और नई कोशिकाओं के बनने में कमी आ जाती है। कोशिकाओं के पतन मानव मस्तिस्क में डिमेंशिया और अल्जाइमर की स्थिति पैदा करते है। बुजुर्गों में उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, अधिक वजन व मोटापा, टाइप 2 मधुमेह इसके जोखिम को और बढ़ा देते हैं।

बचाव

विशेषज्ञ मानते हैं कि जो आपके दिल के लिए अच्छा है वही आपके दिमाग के लिए भी अच्छा है। इसका मतलब है की आप मनोभ्रंश के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए घर के बुजुर्गों की मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। उनके संतुलित आहार दें, वह व्यायाम करें, तंबाकू व एल्कोहल प्रयोग न करें।

लक्षण पर दें ध्यान करें पहचान –

याद्दाश्त कमज़ोर होना
घर का रास्ता भूलना
गुस्सा व चिड़चिड़ापन
एकाग्रता में कमी
बातचीत में परेशानी
अपने शब्दों को दोहराना
जगह या समय को लेकर गुमराह होना
तर्क करने व निर्णय लेने में कठिनाई

देखभाल करने के लिए ज़रूरी बातें –

बुजुर्ग को दिन में ज्यादा सोने न दें, कैलंडर और घड़ी आदि से दिन और समय का ज्ञान करवाते रहेंI उन्हें अकेलापन महसूस न होने दें। उनकी बातों को नजरंदाज न करें उनको ध्यान से सुनें। ऐसे उपाय करें की उनका मन व्यस्त रहे। प्रकृति से उनका संपर्क बनाए रखें पार्क में उन्हें घुमाने ले जाएँ।

प्रतिवर्ष वृद्धाश्रम में आते हैं 25-30 बुजुर्ग

जनपद के नैनी क्षेत्र में स्थित आधारशिला वृद्धाश्रम के संचालक सुशील श्रीवास्तव बताते हैं कि ‘ हमारे वृद्धाश्रम में अभी कुल 85 बुजुर्ग रह रहे हैं। इनमें 18 ऐसे हैं जो अल्जाइमर डिमेन्शिया से पीड़ित हैं। जिला मानसिक स्वास्थ्य की टीम समय-समय पर आकर सभी बुजुर्गों की जांच करती है। ऐसे बुजुर्गों को मनोवैज्ञानिक पद्धति व दवा के माध्यम से उनकी स्थिति को बेहतर किया जा रहा है। प्रतिवर्ष लगभग 25-30 बुजुर्ग वृद्धाश्रम तक आते हैं। इस मामले में यही कहना चाहूँगा की बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लें।

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