कौशाम्बी : मुख्य चिकित्सा अधिकारी के प्रांगण में राष्ट्रीय फाइलेरिया कार्यक्रम का उद्घाटन जिला अधिकारी सुजीत कुमार ने स्वयं फाइलेरिया की दवा खा कर किया। इस अवसर पर जिला अधिकारी कार्यालय व मुख्य चिकिसा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों ने भी दवा का सेवन किया। जिलाधिकारी ने जनपद की जनता से अपील किया की स्वास्थ विभाग की टीम जब दवा खिलाने उन के घर आए तो दवा अवश्य खाएं और फाइलेरिया बीमारी को हराएँ| यह एक लाइलाज बीमारी है इससे बचाव के लिए लगातार पांच वर्ष तक दवा खाना जरूरी है। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के.सी राय ने बताया कि जनपद में सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर जन प्रतिनिधियों के जरियें फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया है ताकि क्षेत्रो के लोंगों में दवा के प्रति जागरूकता बढ़े| फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। इस कारण इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक एवं कठिन हो जाता है।

जिला मलेरिया अधिकारी अनुपमा मिश्रा ने बताया कि जनपद में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान 27 मई तक चलाया जायेगा। इस अभियान के लिए जिले में 1619 टीमों का गठन किया गया है। पर्यवेक्षण के लिए 275 लोगों को लगाया गया है। अभियान के तहत जनपद में सभी लोगों को फाइलेरिया की दवा (डीईसी एल्बेण्डाज़ोल और इवेरमेक्टिन ) उनके वजन और आयु के आधार पर खिलाई जाएगी।

पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे कईलूरिया भी कहते हैं जो फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। उन्होंन बताया कि इस अभियान के तहत दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाएगी। जो लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अर्थराइटिस की दवा ले रहे हैं उनको भी इस दवा का सेवन अवश्य करना है।

डॉ डी.एस यादव नोडल अधिकारी बीवीडी ने बताया कि सामान्य लोगों को इन दवाओं के सेवन से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। दवा के सेवन के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण नजर आयें तो किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं जो कि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं। साल में केवल एक बार फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से फाइलेरिया की बीमारी से बचा जा सकता है।

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