साफ सुथरे शहरी इलाकों में रहने वालों को डेंगू का ज्यादा खतरा

 प्रयागराज  :  जनपद में डेंगू के बुखार से रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। 28 अक्टूबर तक डेंगू के 642 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मरीजों का सैम्पल लेकर मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजे जा रहे हैं। इसमें से 605 मरीज़ स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। एक्टिव केस वाले मरीजों का उपचार जारी है। स्वास्थ्य विभाग का जिला मलेरिया कार्यालय अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ लार्वानाशक छिड़काव, फॉगिंग व सोर्स रिडक्शन डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में कर रहा है। वहीं जानकारों की मानें तो बारिश व बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जल जमाव से डेंगू के मच्छर तेजी से पनप रहे हैं। 

डेंगू मच्छर की पहचान- चीते जैसी धारियां 

डेंगू का मच्छर आम मच्छरों से काफी अलग होता है। यह बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता इसे एडीज मच्छर के नाम से जानते हैं। यह दिखने में सामान्य मच्छरों से थोड़ा होता है। इसके शरीर पर चीते जैसी धारियां बनी होती है। यह दिन में खासकर सुबह के वक्त काटते हैं। इसके काटने के करीब 3-5 दिनों के भीतर मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं।  

जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि डेंगू या किसी भी संचारी रोग का संक्रमण फैलने का सबसे बड़ा कारण मच्छरों के स्रोत का पूरी तरह से ख़त्म न होना है। ऐसे में साफ सुथरे शहरी इलाकों में रहने वालों को ज्यादा खतरा है। जब तक लोग डेंगू को लेकर स्वयं जागरूक व सतर्क नहीं होंगे तब तक विभाग के मात्र प्रयास से डेंगू के संक्रमण को रोक पाना मुश्किल है। जागरूकता व सतर्कता ही डेंगू संक्रमण को हराने का पहला व मुख्य कदम है।

पानी के स्रोतों को खत्म करने के बाद भी खतरा टलता नहीं  

उन्होने बताया कि डेंगू के अन्डे 8 से 10 माह तक निष्क्रिय अवस्था में भी रह सकता है। उसका जीवन चक्र पानी के संपर्क में आते ही शुरू हो जाता है। मच्छर पनपने वाले स्रोत जैसे कि कूलर, गमला, फ्रिज की ट्रे, छत पर पड़े कबाड़, प्लास्टिक की बोतल आदि में अगर पानी जमा है तो उसमें डेंगू के अन्डे अपना विस्तार कर सकते हैं। इन स्रोतों से पानी खाली करने पर भी अंडे उसी स्रोत में ही चिपके रह जाते हैं। यदि उस पानी को जमीन पर फेंक दिया जाए तो वह पानी किसी गड्ढे, तालाब या नाली में जमा हो जाता है जहां अन्डे दोबारा से सक्रिय हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि घर या आसपास कहीं पानी जमा न होने दें। कूलर, टायर, फ्रिज की ट्रे, बोतल, टूटे बर्तन आदि को नियमित रूप से खाली करें व धूप में सुखाएँ। 

जागरूकता जरूर बरतें 

• पेंट व कमीज पूरी बाजू वाली पहनें

• आस-पास पानी इकट्ठा न होने दें

• सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

• घर में डस्टबिन को ढककर रखें, दिन में दो बार उसे साफ करें।

• कूलर, फ्रिज की ट्रे व पानी की टंकी हर हफ्ते खाली करें। इसे सुखाकर ही दोबारा प्रयोग करें।

डेंगू बुखार के लक्षण

• जोड़ों में दर्द

• उल्टी आना

• डिहाइड्रेशन

• शरीर में दर्द

• तेज बुखार

• कमजोरी व थकान

• गले में दर्द

• सिर दर्द

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