डॉ॰नीलम सिंह ने 5 हज़ार से ऊपर कोरोना संक्रमित मरीजों को बचाया

 प्रयागराज : कोरोना संक्रमित मरीज की स्थिति गंभीर हो जाने पर उसके जीवन को बचाने की सबसे अहम ज़िम्मेदारी एनेस्थेसिया विभाग के चिकित्सकों की हो जाती है। एनेस्थैटिक को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। क्योंकि वह मरीज के मुह के सीधे संपर्क में रहता है। आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम जनपद के स्वरूरनी रानी नेहरू अस्पताल में कार्यरत कोरोना योद्धा एनेस्थैटिक डॉ॰नीलम सिंह (आईसीयू इंचार्ज, ऑक्सीज़न इंचार्ज, क्रिटिकल केयर, प्रोफेसर) की उपलब्धियों के साथ ही कोरोनाकाल में कैसा रहा उनका सफर जानेंगे।

जिन्होने कोरोनाकाल में वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हजारों लोगों को बचाया। आइसीयू व एचडीयू वार्ड में भर्ती गंभीर करीब 5 हज़ार से ऊपर कोरोना पॉज़िटिव मरीजों का इलाज किया व करीब 160 कोरोना पॉज़िटिव गर्भवती महिलाओं को एनेस्थेसिया देकर सुरक्षित एवं सफल प्रसव कराया है।

एनेस्थैटिक डॉ॰नीलम सिंह ने बताया कि ‘जिम्मेदारियाँ बड़ी थीं, 12 से 15 घंटे लगातार पीपीई किट पहनकर काम किया। मरीज का परिवार से दूर होने के कारण निराशा उन्हें ना घेरे इसके लिए मानसिक तौर पर हमेशा उन्हें साहस दिया। कोविड वार्ड में मरीजों को दवा व उनके भोजन से लेकर ऑक्सीज़न लेवल सेचुरेशन आदि सभी का हमने ख्याल रखा। ऑक्सीज़न इंचार्ज होने के नाते ऑक्सीज़न गैस कि समुचित व्यवस्था की ज़िम्मेदारी भी मुझपर रही। संक्रमण के कारण कई बार सांस फूलने की स्थिति में मरीज अपने मुह पर लगे वाइ-पैप मास्क हटा दिया करते थे इसलिए ऐसे मरीजों को पकड़कर घंटों बैठना भी पड़ा है। कोई मरीज जब ठीक होकर जाता तो उनके भावुख होने पर आँखें हमारी भी खुशियों से भर आती थीं। बहुत ख्याल व प्रयास के बाद भी हम कुछ लोगों को नहीं बचा पाए इसका दुख अभी भी परेशान करता है।‘

इसलिए इस विभाग की रही अहम भूमिका

उन्होने बताया कि एनेस्थैटिक चिकित्सक को लोग बस एनेस्थीसिया विशेषज्ञ जानते हैं बल्कि वेंटिलेटर के संचालन का एनेस्थैटिक ही विशेषज्ञ होता हैं। इसलिए कोरोनाकाल में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों कि देखभाल के लिए एनेस्थेटिक की महत्वपूर्ण भूमिका है। वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज ज़िदगी से जंग अकेले नहीं लड़ता बल्कि उसके साथ एनेस्थैटिक अपने अनुभवों की पूरी ताकत झोंक देता है। मरीज जब तक ऑक्सीज़न मास्क व वाइपेप मास्क तक सीमित रहता है तब तक स्थितियाँ पूरी तरह से काबू में रहती हैं। पर जब वह वेंटिलेटर पर जाता है तो उसकी हालत बेहद नाजुक हो चुकी होती है। हमने वेंटिलेटर पर गए पंद्रह मरीजों को स्वस्थ करके उनके घर भेजा है। एनेस्थैटिक चिकित्सकों को ज़्यादातर लोग बस एनेस्थीसिया विशेषज्ञ जानते हैं बल्कि वेंटिलेटर के संचालन का एनेस्थैटिक ही विशेषज्ञ होता हैं। इसलिए कोरोनाकाल में वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों कि देखभाल के लिए एनेस्थेटिक की महत्वपूर्ण भूमिका है।‘

Comments

Popular posts from this blog

बिशप मॉरिस दान और राकेश चतरी के ख़िलाफ़ हिंदूवादी संगठनों से जुड़े अधिवक्ताओं और छात्रों का प्रदर्शन

अम्बेडकर जयंती के अवसर पर वार्ड नं० 36 में हुआ पूजा, भजन व भंडारा

त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में हुआ महिला जागरुकता कार्यक्रम