नव वर्ष में लें संकल्प, अपने साथ दूसरों का भी रखें खयाल, सक्षम हैं तो करें मदद : अंजलि सिंह

 प्रयागराज:  वैश्विक महामारी कोविड -19 से विश्व के अरबों-खरबों नागरिकों के जीवन में जिस तरह से उथल-पुथल मचा है वह भविष्य में कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। लाखों लोगों की जानें चली गईं, लोगों का रहन सहन बदल गया। साल 2020 के स्वागत में जश्न मनाते समय किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि यह वर्ष उनके जीवन के सबसे भयावह वर्ष के रूप में जाना जाएगा। अचानक से आई इस महामारी ने लोगों को संभलने का मौका भी नहीं दिया। सारे काम बंद हो गए, लोग अपने घरों में कैद हो गए। गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को खाने को लाले पड़ गए। परंतु इस भयावहता के बीच भी हमारे पास सकारात्मक होने की कई वजहें हैं। इस आपदा ने हमें प्रकृति के करीब ला दिया। हमें अपनों के पास बैठने और उनसे बेहतर संवाद स्थापित करने का मौका दिया। कुछ पल सुकून से घर में बिताने का मौका मिला। साथ ही साफ सफाई एवं स्वच्छता को अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बनाना भी सिखाया। कोरोना काल ने हमें अपने आदर्शों एवं मूल्यों से भी अवगत कराया जिन्हें हम कब का भूल चुके थे। इसने हमें सीमित संसाधनों में भी जीवनयापन करना सिखाया।

कोरोना के खतरे के कारण आवगमन बंद हो गया जिससे हमारे वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी काफी हद तक कम हो गया। कहा जाता है कि भगवान किसी भी रूप में हमारे सामने आ सकते हैं और इस महामारी काल में जिस तरह डॉक्टर्स कोरोना योद्धा बनकर सामने आये वह सचमुच भगवान के दर्शन से कम नहीं था। उन्होंने समाज सेवा की एक नई मिसाल पेश की है। इस आपदा काल में लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती थी कि वह स्वयं को सकारात्मक कैसे रखें? हमारा जीवन ही चुनौतियों और संघर्षों से भरा है। ऐसे में यदि हम जीवन की कठिनाइयों में सकारात्मक रहें तभी संभव है कि हम एक बेहतर जीवन की कल्पना कर सकें। इस माहमारी ने हमें न सिर्फ अचानक से जीवन में आई चुनौतियों से लड़ना सिखाया अपितु हमें मानसिक तौर पर मजबूत भी बनाया। किसी ने सही ही कहा है कि सकारात्मक सोच हो, तो चारों तरफ नकारात्मकता होने पर ही मन और मस्तिष्क कहीं-न-कहीं से सकारात्मकता ढूंढ ही लेता है।

अब जब यह वर्ष ख़त्म होने को है तब हमें चाहिए कि इस पूरे वर्ष से सकारात्मकता ढूँढ कर और एकत्रित किए गए अनुभवों के साथ हम नव वर्ष का स्वागत करें और संकल्प लें कि हम दूसरों की खुशियों का भी उतना ही ख्याल रखें जितना हम अपनी खुशियों का रखते हैं। संकल्प लें कि यदि हम सक्षम हैं तो ज़रुरतमंदों की मदद करेंगे और इस प्रकार आने वाली हर आपदा और डटकर और आपस में मिल-जुल कर सामना करेंगे।


                                                          (सिटिज़न जर्नलिस्ट)
                                                               अंजलि सिंह
                                               सहायक अध्यापिका एवं लेखिका

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