शवों को जलाने में हो रहा बच्चों का इस्तेमाल बीबीए ने की कड़ी कार्रवाई की मांग

वाराणसी: जनपद के हरिश्चंद्र घाट पर कोरोना महामारी में मरे लोगों को जलाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने पाया कि डोम समुदाय श्मशान घाट पर शवों को जलाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल लकड़ी, अन्य सामग्री आदि को ढुलवाने में कर रहा है।

गौरतलब है कि इस संबंध में सूर्य प्रताप मिश्रा (स्टेट कोऑर्डिनेट BBA- उत्तर प्रदेश) ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ) को पत्र लिखकरे इन बच्चों के तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए इनके कोरोना से भी संक्रमित होने की आशंका जताई थी। बीबीए ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 2(14) के तहत डोम समुदाय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। सूर्य प्रताप मिश्रा ( स्ट्रेट कोऑर्डिनेट- बीबीए) ने उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (यूपीएससीपीसीआर) को भी एक प्रति संलग्न कर दी थी।

एक सप्ताह से अधिक गुजर जाने के बाद भी जब DCPO का कोई जवाब नहीं आया तो सूर्य प्रताप मिश्रा ने आयोग से संज्ञान लेने का आग्रह किया है। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए जय सिंह (माननीय सदस्य राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग) ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को दस दिनों के भीतर बच्चों की पहचान करने और उनका आर्थिक संरक्षण करने का निर्देश दिया। आयोग ने बीबीए द्वारा दी गई उसी सिफारिश को अधिसूचित किया है।

बीबीए के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, "यह अमानवीय है। मैं उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं जो बच्चों से इस तरह का काम करवाने में भी नहीं हिचकिचाते। साथ ही डसीपीओ के खिलाफ भी कारण बताओ नोटिस जारी की जानी चाहिए, क्योंकि यह जानते हुए भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि ऐसी कुप्रथा से बच्चों को कोरोना वायरस का ज्यादा खतरा है।"

इस संबंध में आजतक कुछ नहीं किया गया। यह न केवल एक अमानवीय प्रथा है बल्कि बाल श्रम के खिलाफ कानूनों का भी उल्लंघन है। इसके अलावा बच्चों को कोरोना वायरस सहित विभिन्न रोगों का ज्यादा खतरा है।

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