नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. इशान्य राज ने बताया डिजिटल क्रांति से बच्चो की मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे हो रहा हानिकारक असर

 प्रयागराज : कोरोना काल ने जिस तरीके से डिजिटल क्रांति की एक लहर लाई है, उसमें ज्यादा से ज्यादा मानवीय कार्य टेक्नोलॉजी द्वारा संपादित किए जा रहे हैं और भविष्य में भी मानव टेक्नोलॉजी के ऊपर निर्भरता रहकर सारे आयाम ढूंढ रहा हैं |

डिजिटल क्रांति ने हमारे बच्चों को भी टेक्नोक्रेट्स बना दिया है| उनकी पढ़ाई, उनका मनोरंजन, उनका सामाजिकरण, ज्ञान वर्धन आदि टेक्नोलॉजी द्वारा हो रहा है| जिसकी वजह से उनका शारीरिक विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर देखने को मिल रहा हैं |

क्या ऐसे में माता-पिता टेक्नोलॉजी की खूबियों के साथ क्या इसके दुरुपयोग पर भी विचार करते है ? बच्चे क्या देख रहे हैं सुन रहे हैं सीख रहे हैं और व्यवहार में शामिल कर रहे हैं इनका अंदाजा माता-पिता को है? ऐसे कई सारे प्रश्नों और दुविधा के साथ लोग मिल रहे हैं | 

नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. इशान्य राज ने बताया कि काल्विन अस्पताल में जिला मानसिक स्वास्थ्य टीम प्रतिदिन इन जैसे कई समस्याओं के निकारण के लिए परामर्श एवं सही ट्रीटमेंट कर रही हैं |ओ.पी.डी के दौरान रोज कई मरीज आ रहे जो डिजिटल जिंदगी के प्रभाव में गलत दिशा में फस रहे हैं उन्होंने बताया कि अगर टेक्नोलॉजी/डिजिटल क्रांति के दुष्प्रभाव की बात की जाए तो मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुष्प्रभाव विचारणीय है :

केस नंबर :1

-16 साल की प्रिया माता-पिता की इकलौती बेटी है l स्कूल और अन्य पढ़ाई व मनोरंजन के साधन कम हो जाने की वजह से पूरा समय मोबाइल में व्यतीत करने लगी और सोशल मीडिया में अपना अकाउंट बनाकर अनजान लोगों से बात करने लगी ताकि वह किसी तरीके से अपना समय व्यतीत कर पाए| अकेलेपन के कारण प्रिया अपने जिला या राज्य नहीं बल्कि देश विदेश के लोगों के संपर्क में आने लगे l इसी दौरान विदेश में रह रहे एक लड़की से उसकी बातचीत और दोस्ती बढ़ने लगी और इस कदर वह उस लड़की से भावनाओं से जुड़ गई कि वह यह कहने लगी कि मुझे उस लड़की से प्यार हो गया है और मैं उसी से शादी करूंगी और खुद को होमोसेक्सुअल मानने लगी |

केस नंबर -2
कुछ तीन-चार साल पहले 8 वर्षीय हर्ष के माता-पिता का अलगाव हो गयाl हर्ष अपने पिता के साथ रहने लगा और यहीं से रह कर वह स्कूल जाता था और पढ़ाई करता थाl अचानक से स्कूल बंद हो जाने की वजह से घर में ज्यादा समय बिताने की वजह से अकेले वह मोबाइल में विभिन्न साइट के माध्यम से सोशल मीडिया चैटिंग की लत का शिकार हो गया lचुकी हर्ष एक ऐसे परिवार में था जो एक टूटा परिवार था इसी वजह से कहीं ना कहीं हर्ष अंदर से भी टूटा था और इस को जाहिर करने के लिए वह विभिन्न साइटों पर अनजान लोगों से अपनी दुख व्यथा और परिवार की बातें करता था lताकि लोग उसे प्यार वह संवेदना दिखाएं और उसकी विभिन्न परेशानियों के समाधान हेतु उपायों को समझाएं हर्ष किसी भी अनजान लोगों से बात कर रोने लगता और अपनी व्यथा सुनाने लगताl धीरे-धीरे लोगों ने उसे ब्लॉक करना शुरू कर दिया और हर्ष परेशान और विचलित सा रहने लगा lयह सोच सोच कर रोता उदास रहता कि उसे कोई प्यार नहीं करता कोई उससे बात भी नहीं करना चाहता |

टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग : हाल के दिनों में देखा गया है कि वेब सीरीज, ऑनलाइन गेम, ऑनलाइन शॉपिंग, सोशल नेटवर्किंग की लत बच्चे और युवाओं पर भी हावी है| जिनके कुछ सामग्रियां बच्चों की समझदारी और उनके उम्र के अनुकूल नहीं होते| चाहे अनचाहे जब वह इन सामग्रियों को जिसमें ज्यादातर पोर्नोग्राफी से रिलेटेड सामग्रियां देखते हैं तो उनके मन में इसके बारे में और ज्यादा जानने की इच्छाएं जिज्ञासा होती है और ना चाहते हुए भी धीरे-धीरे वह पोर्नोग्राफी की लत से ग्रसित हो जाते हैं|

-ऐसे में उम्र से पहले उनके व्यवहार में, उनकी भावनाओं में, उनकी सोच विचार में, उनकी इच्छाओं में परिवर्तन आने लगता है और धीरे-धीरे उनकी विकासात्मक अवस्था के मानसिक, सामाजिक बौद्धिक आदि आयाम प्रभावित होने लगते हैं और बच्चों में मानसिक परेशानियां का जन्म होने लगते हैं|

पोर्नोग्राफी की आदत में निम्नलिखित समस्याएं पैदा करने की क्षमता होती है:

• सामाजिक गतिविधि से पीछे हटना
• एक गुप्त जीवन का विकास करना
• दूसरों से झूठ बोलना और धोखा देना
• आत्मकेन्द्रित होना
• चिड़चिड़ा महसूस करना
• गुस्सा और उदास महसूस करना
• व्यापक चिंता और भय
• शक्तिहीन महसूस करना
• लोगों को सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में मानना
• लोगों को मुख्य रूप से उनके शरीर के अंगों के संदर्भ में देखते हुए
• गोपनीयता और सुरक्षा के लिए अन्य लोगों की जरूरतों का अनादर करना
• यौन हानिकारक व्यवहार के बारे में असंवेदनशील होना
• व्यक्तिगत स्वास्थ्य खराब (नींद की कमी, थकावट और आत्म-देखभाल)
• पारिवारिक जीवन (साथी, बच्चों, पालतू जानवरों और घरेलू जिम्मेदारियों की उपेक्षा)
• काम और स्कूल (कम ध्यान, उत्पादकता और उन्नति)
• वित्त (अश्लील संसाधनों पर खर्च)

डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन (इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की निर्भरता को कम करना) पर जाने के लिए टिप्स

अपने सभी गैजेट्स को सूचीबद्ध करें: उन गैजेट्स की एक सूची बनाएं, जिनका उपयोग करके आप अपना अधिक समय व्यतीत करते हैं। यह आपको यह महसूस करने में मदद करेगा कि आपको वास्तव में क्या कटौती करने की आवश्यकता है।
 अपनी दिनचर्या को संशोधित करें: सुबह उठ के जगने के तुरंत बाद अपने फोन में झाँकने के बजाय, आप 8-10 मिनट तक स्ट्रेचिंग की कोशिश करें, टहलने जाएँ, मंत्रों का जाप करें, प्रार्थनाएँ ध्यान आदि करें।
 अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कम उपयोग करने के लिए खुद को याद दिलाएं।
 आत्म-नियंत्रण अभ्यास करें - गैरजरूरी रिमाइंडर, नोटिफिकेशन को ऑफ करके रखें तथा सीमित अवधि के बाद फोन में या लैपटॉप और टीवी में ऑटो स्विच ऑफ की तकनीक को इनेबल का रखें और सूचनाएं ब्लॉक करें जो आपको परेशान कर सकती हैं।
 फोन स्टैकिंग तकनीक को आजमाएं: इस तकनीक को एक बैठक में या एक पारिवारिक भोजन में आज़माएं। हर कोई अपनी फोन को टेबल के बीच में रखता है और सबसे पहले जो भी उस फोन को उठाता है या फोन से संबंधित कोई भी व्यवहार प्रदर्शित करता है, उस व्यक्ति को इस व्यवहार के लिए पेनल्टी भरनी पड़ती है। जैसे कि सभी के लिए कॉफी बनाना या बर्तन धोना आदि।
 नो फोन जोन एरिया बनाएं: अपने घर के किसी एक क्षेत्र को नामित करें जहाँ आपके फ़ोन को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है! ज्यादा से ज्यादा वहां जाएं।
 ई-फास्टिंग का तरीका अपनाएं: जिस तरीके से हफ्ते में एक दिन अपने धर्म और पूजा के आस्था के खातिर हम व्रत रखते हैं उसी तरीके से हफ्ते में एक दिन ई-फास्टिंग रखें जिसमें उस दिन कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करने से बचें/

डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन (इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की निर्भरता) को कम के लाभ:
1. अपने लिए अधिक समय
2. उत्पादकता और रचनात्मकता को बढ़ावा
3. खानपान नींद व दैनिक दिनचर्या का संतुलित होना
4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार
5. अपने निकट और प्रिय लोगों के साथ सामाजिक कौशल और संबंध में सुधार।
6. अपनी समस्या को सुलझाने और विश्लेषणात्मक सोच को बढ़ावा।
जरुरी : समय आ गया है खुद को डिजिटली डिटॉक्सिफाइड करने का अर्थात इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की निर्भरता को कम करने के लिए व्यावहारिक तरीकों को अपनाने का|
मिलेंगे आगे के अभिवाक भूमिका स्पेशल स्टोरी के साथ :

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