डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर व्याख्यान व चर्चा

 लखनऊ : अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं और छात्रों समेत शिक्षकों और आम जनों ने प्रतिभाग किया। इस अकादमिक कॉन्क्लेव में केन्या के जॉन मुरियांगो कादिओली ने मानवाधिकार की सीमाओं का जिक्र करते हुए महिलाओं की भूमिका पर विशेष ध्यान आकर्षित किया।  तजाकिस्तान के खोदाजोव इस्कंदर ने मानवाधिकार के व्यापक क्षेत्र पर विस्तार से चर्चा कर महिलाओं और बालिकाओं को समाज की आधारशिला बताया।

अफ़ग़ानिस्तान के अहमद शकिब लोदिन ने मानवाधिकार के महत्त्व को बताते हुए महिलाओं के प्रति अपेक्षित सद्भावना और विकास पर बात की , वहीँ तज़ाकिस्तान के नज़रोव ख़य्यूम ने मानवाधिकार को सभ्य समाज की आवश्यकता बताया।डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र कृतिन बहुगुणा ने युद्ध से क्षति ग्रष्ट देशों में महिलाओं के अधिकारों की बात की।

तेजस्विनी कौशल ने कन्या भ्रूण हत्या और शालिनी सिंह ने शिशु जन्म से सम्बंधित महिलाओं की भूमिका पर बात की। महिला शशक्तिकरण सुरक्षा एवं स्वावलम्बन का विस्तार क्षेत्र पर एक प्रस्तुतीकरण मान्या कोचर ने किया। वै दानशि ने कार्यस्थल पर महिलाओ की समानता के अधिकार की बात की।

डालिमा पुष्करणा ने महिलाओं के यौन शोषण एवं उनके अधिकारों के हनन पर चर्चा की। लोहिया विधि विश्वविद्यालय की छात्रा तान्या वर्मा ने मानवाधिकार के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं को न्याय के अवसरों पर बात की। अपर्णा तिवारी ने मानवाधिकार , महिला और शिक्षा से सम्बंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की। मृदुल यादव और भावना भोथरा ने मानवाधिकार और नारीवाद को पॉप कल्चर से जोड़ते हुये महिला मुद्दों से सम्बंधित मानवाधिकार के क्षेत्र पर विस्तृत चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुबीर भटनागर ने विधिक पहलों को छूटे हुये सभी परतिभागियोज को अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार दिवस की शुभकामनायें दीं , साथ ही प्रमुख जजमेंट्स की चर्चा की।

कार्यक्रम की समन्वयक विधि विशवविद्यालय की विधि की शोध छात्रा देवांशी सिंह और लखनंऊ विश्व विद्यालय की अंग्रेजी की शोधछात्रा अनुकृति राज रहीं। यह कार्यक्रम लोहिया विधि विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्र प्रकोष्ट द्वारा आयोजित किया गया जिसमे विश्वविद्यालय की शिक्षक डॉ अलका सिंह एवं डॉ अमन दीप सिंह समेत अन्य शिक्षकों और छात्रों ने अंतर्राष्ट्र्रीय मानवाधिकार दिवस के वैचारिक और अकादमिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करते हुये इसे महिला सशक्तिकरण के साथ साथ , सशक्त सांस्कृतिक और सामाजिक बिंदु बताये। कार्यक्रम में देश और विदेश से श्रोताओं ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

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