कोरोनाकाल में अस्पताल जाने वाले जागरूक व सतर्क रहें

प्रयागराज : जिला क्षय रोग अधिकारी व सीरो सर्विलान्स के नोडल डॉ.ए.के. तिवारी ने बताया कि कोरोना की तीसरी शुरू हो चुकी है संक्रमण अपने पैर तेजी से पसार रहा है। ऐसे में ज्यादातर चिकित्सक टेली-कंसल्टेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके बावजूद यदि आपको अस्पताल जाना पड़े तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें। ताकि आप व आपका परिवार कोरोना की इस तीसरी लहर में संक्रमण से सुरक्षित रहे।

अपॉइंटमेंट लेकर जाएं

बदलते मौसम के चलते अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए पहले घर पर ही मरीज के स्वास्थ्य का आंकलन करें। बीमारी के हल्के लक्षण दिखने पर टेली-कंसल्टेशन का माध्यम चुनें व चिकित्सक से मरीज की स्थिति साझा करें। अतिआवश्यक पड़ने पर ही अस्पताल जाएँ व मरीज को अस्पताल ले जाने से पहले चिकित्सक से अपॉइंटमेंट लें व निर्धारित समय पर पहुंचे। इससे समय पर चिकित्सा सेवा मिलेगी व आपके समय की बचत भी होगी।

मेडिकल हिस्ट्री से जुड़ी रिपोर्ट्स साथ रखें

अस्पताल जाते समय मरीज के इलाज से जुड़े सभी रिपोर्ट्स व प्रयोग की जा रही दवाएं अपने साथ लेकर जाएँ। अपनी स्वास्थ्य संबन्धित समस्याओं को बताने में मरीज सक्षम नहीं है तो ऐसी स्थिति में उसके साथ एक परिजन चिकित्सक से मिले। मरीज के स्वास्थ्य संबन्धित कोई भी बात चिकित्सक से न छुपाएँ व धैर्य पूर्वक सारी समस्या साझा करें। चिकित्सक से अनावश्यक सवाल न पूछें। कम से कम समय में अपनी बात रखें व सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करें। ताकि आपका व चिकित्सक का समय बर्बाद न हो।

अपने साथ जरूर ले जाएं ये चीज़ें

मरीज को अस्पताल ले जाते समय अपने साथ साबुन, सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स, वेट-वाइप्स, ब्वायलर, पानी की बोतल, तौलिया, फेस शील्ड, ग्लास जरूर रखें। अहतियात का पालन करते हुए इन सभी वस्तुओं का प्रयोग करें। अस्पताल में कोरोना व अन्य संक्रमण से यह सभी वस्तुएँ आपको सुरक्षित रखेंगी। अपने हाथों को नियमित अंतराल पर धोते रहें।

कैशलेश भुगतान करें

यदि आप सार्वजनिक वाहन से मरीज को अस्पताल ले जा रहे हैं तो कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना न भूलें। इसके साथ ही वाहन स्वामी को कैशलेश भुगतान करें। अपने पास आपातकालीन स्थिति के लिए कैश जरूर रखें। चिकित्सक की फीस, दवा व जांच के बिल का भुगतान भी कैशलेश माध्यम से करें। इससे कोरोना व अन्य संक्रमण से आप बचे रहेंगे।

भीड़ लेकर अस्पताल न जाएँ

कोरोना की तीसरी लहर में स्वास्थ्य विभाग बहुत सतर्क है। जहां सभी अहतियात व कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन हो रहा है। मरीज के साथ अस्पताल में आगंतुकों की मनाही है। ऐसे में हॉस्पिटल में अपने मित्र और रिश्तेदारों को न बुलाएं। मरीज अगर स्वयं अस्पताल आने में सक्षम है तो वह अकेले आए अन्यथा अपने साथ एक ही वयस्क व्यक्ति को लाए ताकि भीड़ न इकट्ठी हो।

खाली पेट न जाएँ व बाहर का कुछ न खाएं

अस्पताल जाते समय घर से खाली पेट न निकलें। घर का पौष्टिक भोजन करके ही निकलें। हल्का गुनगुना शुद्ध पानी साथ लेकर जाएँ। भूख लगने पर खाने के लिए अपने पास कुछ ताजा फल रखें। फल को खाने के बाद कचरा कूड़ेदान में डालें। अस्पताल परिसर में लगे सार्वजनिक नल व हैंडपंप का प्रयोग न करें। टिशू पेपर का प्रयोग करें।

सकारात्मक रुख रखें

अस्पताल परिसर में मरीज के साथ आए हुए परिजन सकारात्मक रुख रखें। साफ़ सफाई का विशेष ख्याल दें। अस्पताल के नियमों का पालन करें। अस्पताल आए सभी मरीज को चिकित्सा सेवा कि आवश्यकता होती है। पर चिकित्सक एक बार में एक ही मरीज को देख सकता है। इसलिए संयम से अपने नंबर का इंतजार करें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें व फ्रंट लाइन वर्कर्स एवं स्वास्थ्य कर्मियों के साथ नम्रता से पेश आएँ।

सार्वजनिक वस्तुओं को हाथ न लगाएँ

कोविड 19 का संक्रमण कहीं भी हो सकता है। इसलिए मास्क व ग्लब्स पहनकर अस्पताल के लिए निकलें, एंबुलेंस या अपने पर्सनल वाहन से जा रहे हैं तो ड्राइवर को मास्क लगाने को कहें। अस्पताल परिसर में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसलिए वहाँ मौजूद सार्वजनिक कुर्सी, नल, हैंडपंप का प्रयोग न करें व कैंटीन में न जाएँ। दीवारों से न चिपकें और न ही किसी वस्तु को हाथ लगाएँ। मुह में लगे मास्क को हाथ से न छूएँ। मास्क बदलने के बाद सेनीटाइज़ करके कूड़ेदान में डालें व हांथ को सेनीटाइज़ करते रहें।

घर वापस आने पर रखें विशेष ध्यान

अस्पताल से आने का मतलब संक्रमण क्षेत्र से होकर आना है। इसलिए घर पहुचने पर बाहर ही जूते उतार दें। मरीज के साथ अस्पताल गए परिजन व मरीज कम से कम 10 दिन कोरेंटाइन रहें। इस बीच घर के सदस्यों में बच्चे, बुजुर्ग व गर्भवती से मुलाक़ात न करें। कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करें। कोरोना के लक्षण महसूस होने पर घबराएँ न बल्कि अपनी जांच कराएं। ऐसा करके आप संक्रमण की चेन को तोड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे।

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