इन तीन महिला चिकित्सकों के हौंसलों से हर किसी को मिलेगी प्रेरणा

 प्रयागराज : देश की पहली महिला राज्यपाल व 'नाइटेंगल ऑफ इंडिया' और 'भारत कोकिला' कही जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी व कवयित्री सरोजिनी नायडू की जयंती 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस पर जनपद की तीन ऐसी कोरोना योद्धाओं के जज्बे को सालाम जिन्होने फ्रंट लाइन पर रहकर कोरोना संक्रमितों की सेवा में तत्पर रहीं। नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ॰ ईशान्या राज, एनेस्थैटिक डॉ॰नीलम सिंह व सेवानिवृत्त सीएमएस डॉ० सुषमा श्रीवास्तव की जिनके अनुभव व हौसले से जनपद की हर महिला को प्रेरणा मिलेगी।

 

शिक्षा व साहस हर महिला के उत्थान का मुख्य आधार : डॉ॰ ईशान्या राज

मण्डलीय चिकित्सालय काल्विन में कार्यरत डॉ. ईशान्या राज मनोविज्ञान के क्षेत्र से विगत 10 वर्षों से जुड़ी हैं। इन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई नए कार्यक्रम शुरू किए जो कि प्रदेश स्तर तक लागू हुए जैसे जिला अस्पताल में मोबाइल डीएडिक्शन सेंटर, स्क्रीन डिपेंडेंसी ट्रीटमेंट सेंटर, सुसाइड प्रीवेंशन सेल आदि। कोरोनाकाल में कोविड वार्ड में इन्होंने 1000 से ज्यादा पोस्ट कोविड के लक्षणों से जूझ रहे लोगों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग कर उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत किया। इन्होने वर्ष 2021 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। कई उपलब्धियां इनके नाम रही हैं जैसे कि इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस फेडरेशन द्वारा इन्हें "इंटरनेशनल एक्सीलेंस अवार्ड 2021" व युवा दिवस के उपलक्ष्य में उन्हें इंटरनेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग द्वारा इंडियन यूथ आईकॉन अवॉर्ड 2021 से नवाजा जा चुका हैI राष्ट्रीय महिला दिवस पर इन्होने कहा कि ‘जब हम औरतें आज़ादी की बात करते हैं तो उससे हमारा मतलब सिर्फ खुद के लिए सोचने के लिए आजादी से होता है। हमें फैसले करने की आज़ादी, विचारों की आज़ादी, अच्छा बुरा तय करने की आज़ादी, इंकार करने की आज़ादी चाहिए। इसके लिए हम किसी भी स्थिति परिस्थिति में हों हमें शिक्षित होना पड़ेगा। शिक्षा व साहस हर महिला के उत्थान का मजबूत आधार है।

हर महिला की सफलता के पीछे एक पुरुष का साथ : डॉ॰नीलम सिंह

जनपद के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कार्यरत एनेस्थैटिक डॉ॰ नीलम सिंह (कोविड आईसीयू इंचार्ज, प्रोफेसर) ने कोरोनाकाल में 4 हज़ार से ऊपर कोरोना पॉज़िटिव मरीजों का इलाज किया। करीब 160 कोरोना पॉज़िटिव गर्भवती को एनेस्थेसिया देकर सुरक्षित एवं सफल प्रसव कराया है। इसके साथ ही पेट, पैर, आदि बहुत से सैकड़ों आपरेशन में मरीजों को एनेस्थेसिया देकर सर्जन के माध्यम से ऑपरेशन को संभव बनाया। डॉ॰ नीलम की कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए बीते दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें मिशन शक्ति के तहत प्रशस्तिपत्र देकर प्रशासन ने सम्मानित किया है। डॉ॰ नीलम ने बताया कि हर महिला कि सफलता के पीछे एक पुरुष का साथ होता है। ऐसे ही मेरी सफलता के पीछे मेरे पति प्रोफेसर डॉ॰ डी॰सी लाल का साथ है। उन्होने मेरा हर कदम पर साथ निभाया व मेरे हौसले को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया।

आज की महिलाएं बन रहीं सशक्त व आत्मनिर्भर: डॉ॰ सुषमा श्रीवास्तव

प्रदेश व जनपद के कई अस्पतालों में सीएमएस से लेकर अन्य कई प्रमुख पदों पर सेवा का निर्वहन करने के बाद सेवानिवृत्त हो चुकी डॉ० सुषमा श्रीवास्तव के योगदान को कभी भुलाया नहीं सकता। जनपद में कोरोना जब अपने चरम पर था तब इन्होने बतौर काल्विन अस्पताल की सीएमएस रहते हुए कोरोना मरीजों के इलाज के साथ-साथ अन्य मरीजों के लिए ओपीडी व टेलीमेडिसिन व अस्पताल की अन्य सेवाओं को मरीजों तक सुलभ माध्यम से पहुंचाना हो इन्होने पूरे जज्बे के साथ अपने कर्तव्य को निभाया है। इसके साथ ही कोरोना वैक्सीनेशन के शुरुआती दौर में जनपद में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ इन्होने खुद लगवाई। आज राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर डॉ० सुषमा श्रीवास्तव ने कहा कि पुरूष व महिला एक-दूसरे के पूरक होते हैं। अगर दोनों एक साथ समाज कल्याण का कार्य करेंगे तो उनका सम्मान हमेशा बना रहेगा। आधुनिक युग की बेटियाँ व महिलाएं सशक्त व आत्मनिर्भर हो रही हैं। जिंहोने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा, कला, व साहस के नेतृत्व क्षमता से हर परिस्थितियों में अग्रिम मोर्चे पर खड़ी रहीं।

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