सभी सतर्क रहे और मिलकर एनीमिया को हराए

  कौशाम्बी 16 फ़रवरी 2022: खून की कमी से महिलाओं में कई तरह की समस्या जन्म ले सकती है। जागरूकता के अभाव में अक्सर यह देखा गया है कि एनीमिया के गंभीर लक्षण होने के बाद महिला इलाज के लिए जाती है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आयरन युक्त आहार का सेवन करें व हर छः माह पर खून की जांच कराएं।


डॉ विजेता सिंह महिला विशेषज्ञ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेवादा ने कहा कि प्रतिदिन की की ओ.पी.डी में लगभग 20 से 30 मरीज (किशोरी गर्भवती) ऐसे आ जाते हैं जो एनीमिया से ग्रसित होती हैं जिन्हें खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती हैं | उन्होंने बताया कि ‘एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी होना, हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 ग्राम प्रतिलीटर व महिलाओं में 11 से 14 ग्राम प्रतिलीटर के बीच होनी चाहिए। इसलिए समय-समय पर अपने हीमोग्लोबिन की जांच कराते रहना चाहिए। किशोरियों व महिलाओं के लिए हर छः माह में एक बार खून की जांच करवाना बहुत जरूरी है।

• पीरियड्स में रक्तस्राव कम या अनियमित होना एनीमिया का लक्षण।
• गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर गर्भवती बरतें विशेष सावधानी।
• गर्भवती की नियमित जाँच व आयरन युक्त भोजन का सेवन जरूरी।
• विटामिन-ए व सी युक्त खाद्य पदार्थ का प्रत्येक महिला करें प्रयोग।

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया

गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती को सामान्य से अधिक आयरन की जरूरत होती है, ताकि बढ़ते गर्भ में शिशु के लिए शरीर में खून बनता रहे। आयरन की गोलियों के नियमित सेवन के साथ ही आयरन युक्त भोजन करें व भोजन के तुरंत बाद नींबू का प्रयोग करें इसके साथ ही विटामिन सी व अन्य विटामिन्स युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन जरूरी है। यही जागरूकता ही एनीमिया से बचाएगा गर्भवती का जीवन।

पीरियड्स के समय ज्यासदा ब्लीकडिंग

डॉ विजेता सिंह ने बताया कि पीरियड्स (मासिक धर्म) के समय ज्याकदा ब्लीडिंग होना भी एनीमिया का लक्षण हो सकता है। कई बार खासकर किशोरियाँ पीरियड्स में ज्याडदा ब्लीडिंग होने को अनदेखा करती व इसकी जानकारी किसी को नहीं देती। ऐसे में वह मानसिक तनाव से भी गुजरती हैं। अगर उन्हें हर दो घंटे में अपने पैड बदलना पड़ रहा है या उनके पीरियड्स में रक्तस्राव सात दिनों से अधिक समय तब हो रहा है तब ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द उन्हें चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

महिलाओं व किशोरियों में हीमोग्लोबिन के स्तर को तीन भागों में देखा जाता है।

1. हीमोग्लोबिन लेवल अगर 12 ग्राम प्रतिलीटर या उससे ज्यादा तो स्वस्थ है।
2. 7 से 10 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर उसे मोडरेट अर्थात मध्यम एनीमिया कहते हैं।
3. हीमोग्लोबिन सात से कम है तो उसे सीवियर (अतिगंभीर) एनीमिया माना जाता है। जिसमे विशेष देखभाल की जरुरत होती हैं, विशेषकर गर्भवती को।

एनीमिया के प्रमुख कारण

• आयरन (लौह तत्व) वाली चीजों का नियमित सेवन न करना
• शौच, उल्टी या खांसी के साथ खून बहना
• पीरियड्स में अधिक मात्रा में खून जाना
• दुर्घटना में अधिक खून का निकल जाना

एनीमिया के लक्षण

• त्वचा, होठ व नाखूनों का पीला या सफेद होना
• ध्यान केन्द्रित करने में दिक्कत आना
• लेटते या बैठते समय चक्कर आना
• थकान व कमजोरी महसूस होना
• थकान व कमजोरी महसूस होना
• सांस लेने में परेशानी होना
• दिल की धड़कन तेज होना
• चेहरे व पैरों पर सूजन आना

एनीमिया से बचाव के उपाय

• हरी सब्जियों का करें प्रयोग
• स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करें
• आयरन युक्त पदार्थ का सेवन करें
• काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें
• विटामिन-ए व सी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन जरूरी।
• गर्भवती महिलाओं व किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से सौ दिन तक आयरन तत्व व फॉलिक एसिड की एक गोली रात को खाना खाने के बाद सेवन करनी चाहिये।
• मूंगफली, अंडा, कुकुरमुत्ता, मटर व फलियां, दालें, सूखे मेवे, मछली, मांस, बाजरा, गुड़, गोभी, शलजम का प्रयोग करें।

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