जनपद में पहले फाइलेरिया रोगी को मिला दिव्यांग्ता प्रमाण पत्र

प्रयागराज : फाइलेरिया रोगी बैजनाथ (उम्र 47 वर्ष) को विकलांगता/दिव्यांग्ता प्रमाण पत्र दिया गया है। यह जनपद के ऐसे पहले फाइलेरिया रोगी हैं जिन्हें यह प्रमाण पत्र मिला है। जिला मलेरिया अधिकारी आनन्द कुमार सिंह के विशेष प्रयास के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा० नानक सरन के निर्देश पर बैजनाथ को द्विव्यागंता प्रमाण पत्र मिला है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा० नानक सरन ने बताया कि फाइलेरिया जैसी बीमारी में सामान्य तौर पर मौत तो नहीं होती, लेकिन इससे होने वाली दिव्यांगता से जिंदगी बदतर हो जाती है। फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को दिव्यांग बना रही है। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद में संचालित आई०डी०ए० कार्यक्रम के दौरान बैजनाथ की जांच की गई इसमें वह फाइलेरिया पॉज़िटिव मिले थे। फाइलेरिया से मुक्ति होने के लिए इनका पूरा उपचार कराया गया पर इनके पाँव की सूजन समाप्त नहीं हो सकी। पैर में अधिक सूजन के कारण बैजनाथ अपने दोनों पैरों से चल नहीं पाते व जीवन निर्वाह के लिए पूरी तरह से परिवार पर आश्रित हैं। बैजनाथ के साथ इनके परिवार में कुल पाँच लोग हैं। इसलिए जिला मलेरिया कार्यालय के प्रयास से बैजनाथ को उनके घर पर जाकर विकलांगता/द्विव्यांगता प्रमाण पत्र दिया गया है। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मलेरिया विभाग व पाथ संस्था का प्रयास सराहनीय है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2021  में जनपद में संचालित आई०डी०ए० कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया निरीक्षक सन्तोष कुमार सिंह ने बैजनाथ को फाइलेरिया पॉज़िटिव पाया। इसके बाद इनके परिवार के हर सदस्य की जांच की गई पर सभी की रिपोर्ट निगेटिव रही। फाइलेरिया के कारण बैजनाथ शारीरिक व आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके थे इस कारण उन्होने विभाग से विकलांगता प्रमाण पत्र निर्गत कराने कि मांग की थी। ताकि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ लेकर वह अपने जीवन को कुछ सुगम बना सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा० नानक सरन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बैजनाथ के लिए विकलांगता/द्विव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के निर्देश दिए। 24 अप्रैल को जिला मलेरिया विभाग व पाथ प्रतिनिधि डा० शिवकान्त सिंह व फाइलेरिया निरीक्षक सन्तोष कुमार सिंह ने बैजनाथ के घर जाकर द्विव्यांगता प्रमाण पत्र उन्हें प्रदान किया।

आनंद कुमार सिंह ने बताया कि जनपद को फाइलेरिया रोग से मुक्त करने हेतु वर्ष में एक बार आई०डी०ए० कार्यक्रम संचालित कर आयु वर्ग के अनुसार गर्भवती महिलाओं, अति बीमार एवं 02 वर्ष से कम आयु वालों को छोड़कर सभी लोगों को डी०ई०सी०, अल्बेन्डाजोल एवं आइवरमैक्टिन की सिंगल डोज़ जाती है। एक बार फाइलेरिया रोग हो जाने के बाद यदि समय रहते उपचार नहीं कराया गया तब उसे दवाओं के माध्यम से समाप्त नहीं किया जा सकता है। सामान्यतः फाइलेरिया ग्रस्त व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि वह संक्रमित है जब तक कि लक्षण न दिख जाएं। फाइलेरिया से बचाव के लिए सभी से अपेक्षा है कि इसकी दवा अवश्य खाएं। फाइलेरिया के मरीजों को रुग्णता प्रबंधन का प्रशिक्षण और एम०एम०डी०पी० किट वितरित की जा रही है।

ऐसे करे आवेदन 

मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि हाथीपाँव के मरीज जिनका जीवन दूसरो पर आश्रित हैं वह लोग भी दिव्यांगता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं | जिसकी प्रक्रिया सामान्य ही हैं |

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यलय में मेडिकल बोर्ड जो सप्ताह में एक बार सोमवार को संचालित हैं उस दिन अपने आधार कार्ड एवं एक फोटो जिसमे फलेरिया ग्रसित अंग सपष्ट दिखाई दे को लेकर आवेदन कर सप्ताह भर में प्रमाणपत्र ले सकते हैं |

 प्रमाणपत्र के आधार पर  दिव्यांगजन कल्याण विभाग से यूडी आई डी कार्ड के लिए एवं निकटी जनसेवा केंद्र से भी आवेदन भी कर सकते हैं |

 साथ ही ऐसे हाथीपाँव के मरीज भी दिव्यांगजन पेशन के लिए भी आवेदन कर सकते हैं |

अपील 

बैजनाथ ने बताया कि शुरुवाती दिनों में मुझसे बीमारी और दवा दोनों को लेकर बड़ी लापरवाही हुई है। जिसकी वजह से आज मैं पूरी तरह से अपने परिवार पर आश्रित हूँ, मेरी आप सभी लोगों से अपील की हैं की जब भी विभाग की तरफ से फलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम संचालित हो तो दवा का सेवन अवश्य करें। यदि किसी तरह से रोग ग्रसित होते हैं तो पूरा इलाज अवश्य कराएँ।

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