12 मई से चल रहा है फाइलेरिया का आईडीए चक्र, बेफिक्र होकर खाइए फाइलेरिया की दवा

 कौशांबी : यदि आपको फाइलेरिया की दवा खाने से पेट दर्द, उल्टी, मितली, चक्कर आना, चकत्ते पड़ना और दिल की धड़कन तेज होने जैसी समस्या होती है, तो आप घबरायें नहीं बल्कि यह फाइलेरिया होने का सबूत है। इसकी दवा आपके शरीर में फैले संक्रमण को पूरी तरह खत्म कर रही है। यह यह कहना है डॉ. डी.एस यादव नोडल अधिकारी वी.बी.डी। रविवार को वह फाइलेरिया के एमडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया बीमारी की विस्तृत जानकारी दे रहे थे।

उन्होंने ने जनपदवासियों से अपील की है कि सभी लोग निश्चिंत होकर फाइलेरिया की दवा खाएं। इस दवा से कोई नुकसान नहीं होता है। कैंसर, क्षय रोगी समेत कोई भी व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है. इस दवा से परेशानी सिर्फ उन्हीं को हो सकती है जिनके भीतर फाइलेरिया के वाहक माइक्रोफाइलेरिया पहले से मौजूद हैं। दवा के असर से उनका खात्मा होने लगता है। ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर सीएचसी-पीएचसी पर रैपिड रिस्पांस टीम बनी हुई है जो फौरन मदद कर रही है।

नेवादा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चिकित्सा प्रभारी डॉ ललित सिंह ने बताया कि आईडीए प्रोग्राम के तहत सीएचसी क्षेत्र के 38740 घरों के 226915 लोगों को दवा खिलाये जाने का लक्ष्य (2022) का निर्धारित किया गया है। जिसमे से 48911 लोगों को दवा खिला दी गई हैं जो लक्ष्य के 21% फीसदी हैं | कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने दवा खिला रहे हैं | उन्होंने बताया कि गत दिनों दरिया के पुरवा गांव में दवा खाने के कारण तबीयत खराब होने की सूचना मिली थी। इस पर सीएचसी पर गठित रैपिड रेस्पॉन्स टीम मौके पर भेजकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच करा दी गयी है। गांव में स्थिति सामान्य है। उन्होंने लोगों से अपील किया है कि लक्षित समूह के सभी लोग दवा जरूर खायें । यह पूरी तरह सुरक्षित है । साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2020 में 252 टीमों के द्वारा 42 सुपरवाइजर की निगरानी में 15 फरवरी 2020 तक 125325 लोगों को दवा खिलाकर ब्लॉक में लक्ष्य के सापेक्ष 80% फीसदी की उपलब्धि दर्ज की गयी है ।

लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए 19 जिलों में 12 मई से फाइलेरिया अभियान चलाया जा रहा है। जो कि 27 फरवरी तक चलेगा। एसीएमओ मलेरिया एवं वेक्टर बॉर्न डिजीज डॉ डी.एस यादव ने बताया कि 12 मई से आशा-आंगनबाड़ी की टीम घर-घर जाकर अपने सामने लोगों को फाइलेरिया की दवा खिला रही हैं। उन्होने लोगों से आपील की है कि फाइलेरिया की दवा खाली पेट न खाएं और स्वास्थ्यकार्यकर्ता के सामने ही खाएं। यह दवा गर्भवती, गंभीर रूप से बीमार लोगों और 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं खिलानी है।

वर्षों शरीर में पड़े रहते हैं पैरासाइट्स

डॉ डी.एस यादव ने बताया कि क्यूलेक्स नामक मच्छर वाउचेरिया ब्राक्फटाई नामक पैरासाइट का संक्रमण मरीज से स्वस्थ व्यक्ति में करता है। यह फाइलेरिया का वाहक है जो गंदगी में पाया जाता है। इसके पैरासाइट्स 20 साल तक शरीर में पड़े रहते हैं। अगर पांच साल तक डाईएथाइल कार्बामाजिन (डीईसी) नामक दवा का सेवन एल्बेंडाजोल गोली के साथ किया जाए तो इस बीमारी से प्रतिरक्षित हो सकते हैं। अभियान के दौरान इन्हीं दवाओं का सेवन करवाया जा रहा है।


विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाली है दवा : राज्य कार्यक्रम अधिकारी

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी, डॉ0 वी 0 पी 0 सिंह ने बताया की मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम मे उपयोग की जाने वाली उच्च-गुणवत्तापूर्ण दवाये विश्वस्तरीय मापदंडों पर आधारित है और विश्व के सभी फाइलेरिया ग्रस्त देशों में इनका प्रयोग किया जा रहा है और ये दवाये पूरी तरह सुरक्षित है और इन दवाओ के कारण आज तक किसी भी व्यक्ति के मृत्यु का प्रमाण नहीं मिल है । डॉ 0 सिंह ने यह भी बताया की प्रदेश के 19 जनपदों में अब तक कुल 79,85,403 लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाये खिलायी जा चुकी है । जनपद कौशाम्बी के नेवादा प्राथमिक केंद्र के दरिया का पुरवा गाँव में 14 वर्षीय बालिका कृति सोनी की मृत्यु के सन्दर्भ में बताया कि परिवार के अन्य सभी सदस्यों सहित उस क्षेत्र के लगभग सभी लोगों ने इन दवाओ का सेवन किया था और उनमें से किसी को भी किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पाया गया । हालाँकि, बालिका की असमय मृत्यु बहुत ही कष्टप्रद है परंतु यदि परिवार जनों द्वारा शव का पोस्टमार्टम की अनुमति दे डी जाती तो उसकी मौत के सही कारणों का पता चल जाता । परंतु चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग द्वारा और अधिक जानकारियां एकत्रित की जा रही हैं और विभागीय टीम हर संभव प्रयास कर रही है कि बालिका की मृत्यु के सही कारणों का पता शीघ्र लगाया जा सके । डॉ 0 सिंह ने समुदाय से अपील की है फाइलेरिया रोधी दवाएं का सेवन जरूर करे, विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाली ये दवाये पूरी तरह सुरक्षित हैं ।

अभियान के दौरान दवा के सेवन के प्रभाव

नोडल अधिकारी डॉ डी.एस यादव ने बताया कि जिनके शरीर में माइक्रो फाईलेरिया के कीटाणु पहले से मौजूद होते हैं उन्हें दवा के सेवन के बाद कुछ प्रतिकूल प्रभाव नज़र आते हैं, जो निम्न इस प्रकार से हैं |

Ø जी मचली करना, उल्टी होना |

Ø चक्कर आना |

Ø खुजली होना

Ø हल्का बुखार

ये लोग न करे दवा का सेवन

• दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति

ये लोंग भी करें दवा का सेवन

• कैंसर, टी.बी, उच्च, रक्तचाप, मधुमेह, अर्थराइटिस की दवा ले रहे हैं उनको भी इस दवा का सेवन अवश्य करना है

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