सीफार के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन संबंधित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
कौशांबी : स्थ्य संबंधित किसी भी कार्यक्रम को सफल बनाने में मीडिया की अहम भूमिका है। मीडिया के जरिये सदुपयोगी सूचनाएं पहुंचने से लोगों का व्यवहार परिवर्तन होता है। जीवन के लिए बोझ का रूप लेने वाली फाइलेरिया जैसी बीमारी के उन्मूलन में मीडिया की अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। सभी से यह अपेक्षा है कि संचार माध्यमों के जरिये जन-जन तक फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश पहुंचाएं। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ के सी राय ने कहीं।: वह सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के संबंध में आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को सोमवार को संबोधित कर रहे थे ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि 12 मई से 27 मई तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान चलने जा रहा है जिसमें अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे। यह दवाएं निःशुल्क जनसमुदाय को खिलाई जाएंगी और इसका सेवन दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को छोड़ कर सभी को करना है। जिले में डीईसी और एल्बेंडाजोल नामक दवा की डोज उम्र के अनुसार दी जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है और इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उलटी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। इनसे घबराना नहीं है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाते हैं। अगर किसी को ज्यादा दिक्कत होती है तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीबीडी डॉ. डी. एस यादव ने एमडीए कैंपेन में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और जनसमुदाय से अपील की कि जब भी आशा कार्यकर्ता व उनकी सहयोगी दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें। घर के सभी पात्र लाभार्थी को दवा अवश्य खिलाएं। दवा खिलाने के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम 25 घर जाकर दवा खिलाएगी। एमडीए कार्यक्रम के माध्यम से घर-घर जाकर खिलाई जाती है। वर्ष में एक बार दवा खाने से फाइलेरिया की मुक्ति के साथ खून की कमी] स्नोफीलिया से बचाव होता है। इसलिये दवा जरूर खानी चाहिये। जिले में हाथीपांव के मरीजों को मार्बिडिटी किट दी गई है। किट में बाल्टी, मग, तौलिया, साबुन और क्रीम शामिल है। किट देने के साथ-साथ लाभार्थी को यह बताया जा रहा है कि हाथीपांव के कारण हुए घाव या सूजन का रखरखाव करना बहुत आवश्यक है।
जिला मलेरिया अधिकारी अनुपमा मिश्रा ने पीपीटी के जरिये बताया कि जनपद की जनसंख्या को अभियान के दौरान दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए 1619 टीम बनाई गई हैं जिनके कार्यों का पर्यवेक्षण 275 सुपरवाइजर करेंगे। यह दवा फाइलेरिया के परजीवियों को मार देती है और लोगों को हाथीपांव व हाइड्रोसील जैसी बीमारियों से बचाती है। यह दवा पेट के खतरनाक कीड़ों को भी खत्म करती है तथा खुजली एवं जू के खात्मे में भी मदद करती है। दो वर्ष से अधिक व पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों को 100 ग्राम की एक डीईएसी गोली और 400 ग्राम की एक एलबेंडाजोल गोली देनी है। पांच से पंद्रह वर्ष आयु वर्ग के लोगों को डीईसी की 200 ग्राम की दो गोली और एलबेंडाजोल की 400 ग्राम की एक गोली दी जाएगी। इसके अलावा 15 वर्ष से अधिक आयु वग्र के लोगों को डीईसी की 300 ग्राम की तीन गोली और 400 ग्राम एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी।
कार्यशाला के अंत में सीएमओ ने हाल में मौजूद सभी पत्रकारों को फाइलेरिया मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिये संकल्प दिलाया। इससे पहले सीफार के राज्य प्रतिनिधि फिरोज हैदर ने कार्यशाला के उददेश्य और संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर डब्लूएचओ के नोडल कोआर्डिनेटर डा0 राहुल] पीसीआई कोआर्डिनेटर बालेंद्र सिंह] सीफार के प्रतिनिधि प्रयागराज मंडल समन्वयक प्रीती सैनी] श्रवण] मनभावन अवस्थी मौजूद रहे।
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