समय पर टीबी लक्षणों की सही पहचान कर टीबी से जीती जा सकती है जंग: डीटीओ

 

प्रयागराज : भूपेन्द्र सिंह निवासी शंकरगढ़ चुनुवा किसान हैं। उन्हें कुछ समय पहले क्षय रोग हो गया। पुष्टि के बाद सरकारी अस्पताल से उन्हें निःशुल्क उपचार मिला। इसी दौरान पोषण योजना के तहत पोषण किट के साथ ही बैंक खाते में 500 रुपये राशि भी मिली थी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बेहतर तरीके से इलाज किया जा रहा है। समय रहते उनको पोषण सामग्री व दवाई भी उपलब्ध कराई गई। इसका उपयोग मैंने अपने खाने पीने में उपयोग किया। अब मैं बिलकुल ठीक हूं। चिकित्सकों ने दोबारा भी जांच की। मेरी दवा का कोर्स भी पूरा हो गया है। नितीश यादव, उम्र 13 वर्ष  चौक निवासी के पिता ने बताया कि कुछ माह पहले बच्चे की तबियत ख़राब रहने लगी थी। जांच में टीबी निकली। इसके  जिसके बाद बच्चे का इलाज शुरू किया गया और कोर्स भी पूरा हो रहा इसी दौरान हमे बच्चे के लिए एक बार पोषण किट मिली थी जिससे काफी उम्मीद जगी थी लेकिन दोबारा पोषण किट नही मिली।

भूपेन्द्र, नितीश तो सिर्फ उदाहरण हैं। असल में जिले में ऐसे कई मामले हैं जो राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत लाभान्वित हो रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नानक सरन ने बताया कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में जिले में युद्धस्तर पर प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में टीबी मरीजों को गोद लिया जा रहा है। समय के साथ मरीजों को गोद लेने वाले की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2019 में 41, वर्ष 2020 में 119, वर्ष 2021 में 600 और वर्ष 2022 में 2797 मरीजों को गोद लिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों के दवा खाने की अवधि कम से कम छह माह का होती है। उन्होंने गोद लेने वालों से अपील की है कि अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। उन्होंने बताया कि निक्षय मित्र बनने के लिए  https://communitysupport.nikshay.in/# वेब साइट पर जा कर रजिस्टर करें। टीबी मरीज को गोद लेकर उनके पोषण में सहयोग करें।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. अरुण कुमार  ने बताया कि मरीजों को गोद लेने वालों में नेशनल थर्मल पॉवर कारपरेशन लिमिटेड मेजा, इफ्को, प्रयागराज पॉवर जनरेशन कंपनी लिमटेड, जिला औषधि निरीक्षक गोविन्द का विशेष सहयोग शामिल है। डीटीओ ने बताया कि टीबी मरीजों के दवा खाने की अवधि कम से कम छह माह का होती है।

 टीबी का इलाज संभव

टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। सही समय पर उपचार कराने, नियमित दवा और पौष्टिक आहार का सेवन करने से टीबी से छुटकारा आसानी से मिल सकता है। साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों में भी इस बीमारी के प्रसार को रोकें। उन्होंने क्षय रोगियों से आह्वान किया कि सार्वजनिक स्थानों पर जाते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करें। इससे टीबी संक्रमण के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि क्षय रोग का सम्पूर्ण इलाज चिकित्सक की देखरेख में ही पूर्ण कराएं।

Comments

Popular posts from this blog

बिशप मॉरिस दान और राकेश चतरी के ख़िलाफ़ हिंदूवादी संगठनों से जुड़े अधिवक्ताओं और छात्रों का प्रदर्शन

अम्बेडकर जयंती के अवसर पर वार्ड नं० 36 में हुआ पूजा, भजन व भंडारा

त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में हुआ महिला जागरुकता कार्यक्रम