अभियान में सामूहिक प्रयासों से मिली सफलता : सीएमओ

 आईडीए अभियान का सफल समापन, 90% से ज्यादा लोगों ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा


अभियान में सामूहिक प्रयासों से मिली सफलता  : सीएमओ


· अभी तीन दिन और आशा कार्यकर्ता के घर बने डिपो पर उपलब्ध रहेगी दवा

· अभियान में फाइलेरिया योद्धाओं की रही अहम भूमिका

.32 लाख 63 हजार 818 लोगों ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा

प्रयागराज 9 मार्च 2024: राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत फाइलेरिया प्रभावित जनपद के तेरह ब्लॉक में चल रहा ट्रिपल ड्रग थेरेपी (आई॰डी॰ए॰) अभियान समाप्त हो गया। अभियान के अंतर्गत करीब 36.26 लाख की जनसंख्या के सापेक्ष 32.63 लाख से ज्यादा लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने में स्वास्थ्य विभाग को कामयाबी मिली है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ आशु पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि “आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, स्टेक होल्डर, पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य व स्वास्थ्यकर्मियों के सामूहिक प्रयासों से अभियान सफल हो सका है।’’

सीएमओ ने बताया कि “जनपद को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए सभी प्रतिबद्ध हैं। वर्ष 2021 में आईडीए अभियान के अंतर्गत 78 प्रतिशत से ज्यादा का लक्ष्य हासिल किया गया था। इस वर्ष 90.00 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर लिया गया है। अभियान में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्य के तौर पर फाइलेरिया योद्धाओं ने भी दवा सेवन में अहम भूमिका निभाई है। उनके जरिये लोगों को फाइलेरिया बीमारी की गंभीरता को करीब से जानने व समझने का मौका मिला है।“

जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि ”आईडीए अभियान सफलता पूर्वक समाप्त हुआ है। अभी एक सप्ताह तक गाँव की प्रत्येक आशा कार्यकर्ता के घर बने दवा डिपो पर फाइलेरिया से बचाव की दवा उपलब्ध रहेगी। दवा सेवन न कर पाने वाले लोग अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता के घर जाकर उनके सामने दवा का सेवन कर लें।

लक्षण दिखें तो कमरा नंबर 23 में कराएं जांच

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ परवेज़ अख्तर ने बताया कि “स्वस्थ रहते हुए फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर फाइलेरिया से बचा जा सकता है। एक बार फाइलेरिया का लक्षण दिख जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। फाइलेरिया का प्रमुख लक्षण हाथ, पैर या स्तन में सूजन है। पुरुषों में हाइड्रोसिल (अण्डकोष) भी फाइलेरिया के कारण होता है। समय रहते पहचान होने पर हाइड्रोसिल का सफल इलाज संभव है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में यह बीमारी हो जाने पर इसका सम्पूर्ण इलाज नहीं हो पाता है। रोग से प्रभावित अंग के साफ सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। जनपद के तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय के कमरा नंबर 23 में फाइलेरिया की जांच सरकारी प्रावधानों के अनुसार की जाती है।’’

मैंने भी किया फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन

कौंधियारा ब्लॉक में गांव अकोढ़ा की 17 वर्षीय खुशबू ने बताया “मैंने पहली बार फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया है। इसके लिए मुझे “पेशेंट स्टेक होल्डर ग्रुप” से जुड़ी फाइलेरिया रोगी चौरासा देवी ने प्रेरित किया। मेरे मन में दवा के प्रति जो भी भ्रांति थी उसे उन्होंने दूर किया और मुझे यह बताया कि यह दवा सुरक्षित और असरदार है। मैंने खुद भी दवा खाई व अपने परिवार को फाइलेरिया की गंभीरता के बारे में बताया और सभी को दवा खाने के लिए राजी किया। दवा खाने के बाद हममे से किसी को कोई शारीरिक दिक्कत नहीं हुई।

सैदाबाद ब्लॉक के कनकपुर गाँव के निवासी सरोज विश्वकर्मा (उम्र 49) ने बताया, “मैं सोचता था कि जब मुझे फाइलेरिया नहीं है तो मैं दवा क्यों खाऊँ, इसलिए पहले तो मैंने दवा खाने से इंकार कर दिया था। स्वास्थ्य विभाग से कुछ लोग मेरे घर आए और उन्होने मुझे फाइलेरिया बामारी की गंभीरता बताते हुए मरीजों की फोटो दिखायी जो काफी  भयावह थी। इससे मैं प्रभावित हुआ और मैंने दवा का सेवन किया। दवा के सेवन के बाद मुझे किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई।"

Comments

Popular posts from this blog

बिशप मॉरिस दान और राकेश चतरी के ख़िलाफ़ हिंदूवादी संगठनों से जुड़े अधिवक्ताओं और छात्रों का प्रदर्शन

अम्बेडकर जयंती के अवसर पर वार्ड नं० 36 में हुआ पूजा, भजन व भंडारा

त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में हुआ महिला जागरुकता कार्यक्रम